आखिर कब मिलेंगे 52 करोड़ के तैयार भवन, सीएम को लिखा गया खत
नागरिक अस्पताल की नई बिल्डिंग हो या फिर खरखड़ा कॉलेज का भवन। हर जगह पर मामूली विवाद बड़ी अड़चन बन गया है।
रेवाड़ी [जेएनएन]। जिले में 52 करोड़ के विभिन्न सरकारी भवन बनकर तैयार हैं लेकिन लोक निर्माण विभाग की तरफ से भवनों को संबंधित विभागों के हवाले नहीं किया जा रहा है। नागरिक अस्पताल की नई बिल्डिंग हो या फिर खरखड़ा कॉलेज का भवन। हर जगह पर मामूली विवाद बड़ी अड़चन बन गया है। हालात यह है कि लोग सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं और विभाग आपसी खींचतान में उलझे हैं।
बनकर तैयार भवनों में शिफ्ट होने का इंतजार
जिले में कई बड़ी परियोजनाओं पर सालों से काम चल रहा है। इन परियोजनाओं में से ज्यादातर के भवन बनकर तैयार भी हो चुके हैं, लेकिन विभागों के बीच तालमेल के अभाव ने मामलों को अटकाकर रखा हुआ है। नागरिक अस्पताल के मल्टीस्पेशियलिटी भवन को ही ले लिया जाए तो इसके निर्माण की अवधि जुलाई 2016 तक रखी गई थी। अस्पताल की बिल्डिंग बनकर तैयार है तथा इसका कई बार निरीक्षण भी हो चुका है।
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बिल्डिंग में मौजूद खामियों को लेकर भी पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से कई बार छोटा-मोटा काम कराया जा चुका है। अब पीडब्ल्यूडी विभाग न तो बिल्डिंग में काम कर रहा है और न ही इस भवन को नागरिक अस्पताल प्रबंधन के हवाले किया जा रहा है। मामला दोनों विभागों के बीच तालमेल पर आकर अटक गया है। अस्पताल प्रबंधन को अभी भी बिल्डिंग में कुछ खामियां लग रही हैं लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग अपने काम को पूरा बता रहा है। ठीक ऐसा ही मामला खरखड़ा कॉलेज का भी है।
भवन का नाम व खर्च राशि
नागरिक अस्पताल रेवाड़ी का अतिरिक्त ब्लॉक 11 करोड़
राजकीय महा विद्यालय खरखड़ा भवन 08 करोड़
सैनिक स्कूल प्रशासनिक भवन, स्टाफ क्वार्टर 13 करोड़
राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय जैनाबाद 08 करोड़
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण भवन खरखड़ा 05 करोड़
आइजीयू परिसर विद्यालय 07 करोड़
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छोटी-छोटी खामियों ने अटकाई परियोजनाएं
नागरिक अस्पताल की नई बिल्डिंग में लिफ्ट व रैंप का काम अटका
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मुख्यमंत्री व लोकनिर्माण मंत्री को भेजी शिकायत
करोड़ों के भवन बनकर तैयार हैं लेकिन ये संबंधित विभागों को सौंपे नहीं जा सके हैं। इस मामले में भाजपा व्यावसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सतीश खोला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व लोकनिर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह को पत्र भेजा है। भेजे गए पत्र में बताया गया है कि किस तरह से छोटी-छोटी खामियों व तालमेल के अभाव के कारण तैयार भवन भी आजतक हैैंडओवर नहीं हो पा रहे हैं। सीएम से मांग की गई है कि तमाम खामियों को दूर कराकर भवनों को संबंधित विभागों के हवाले किया जाए।