दूसरी बार कांवड़ लेकर आए बालक का किया सम्मान
संवाद सहयोगी, धारूहेड़ा: धार्मिक आस्था और पारिवारिक संस्कारों का असर बच्चों में भी पड़ता है। इसका उदाह
संवाद सहयोगी, धारूहेड़ा: धार्मिक आस्था और पारिवारिक संस्कारों का असर बच्चों में भी पड़ता है। इसका उदाहरण गांव गढ़ी अलावलपुर निवासी बाल ¨प्रस है। दूसरी कक्षा का आठ वर्षीय यह बालक शिवरात्रि पर हरिद्वार से कांवड़ लेकर शुक्रवार को लौटा। गांव निवासी राजेंद्र ¨सह का बेटा ¨प्रस छोटी सी उम्र में धार्मिक आस्था रखने के लिए शिवभक्तों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है। बालक की इस उपलब्धि पर उसके स्कूल के शिक्षकों ने बधाई देते हुए दूसरे साथियों को इनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया। यह बालक पिछले साल भी कांवड़ लेकर आया था।
पिता से ली प्रेरणा:
¨प्रस का कहना है जब वह चार साल का था, तो उसके पिता राजेंद्र ¨सह कांवड़ लेकर आए थे। उसने अपने पापा से पूछा तो पता चला कि कावड़ लाने से मनोकामना पूर्ण होती है। उसके मन में भी कावड़ लाने की इच्छा हुई। वह पिछले साल वर्ष 2016 में भी अपने पिता के साथ कांवड़ लेकर आया था। इस बार फिर दूसरी बार कांवड़ लेकर आया है और आगे भी लाता रहेगा।
¨प्रस जनता स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। कांवड़ लेकर पहुंचने पर ग्रामीणों और उसके साथियों ने उसका स्वागत किया।