ओम नम: शिवाय: श्री प्राचीन शिव मंदिर मुख्य बाजार धारूहेड़ा
औद्योगिक क्षेत्र धारूहेड़ा के बस अड्डे से करीब आधा किलोमीटर दूर मुख्य बाजार स्थित प्राचीन शिव मंदिर आ
औद्योगिक क्षेत्र धारूहेड़ा के बस अड्डे से करीब आधा किलोमीटर दूर मुख्य बाजार स्थित प्राचीन शिव मंदिर आसपास के गांवों में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में हरियाणा ही नहीं, राजस्थान से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। आस्था के चलते मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन के अलावा जागरण, हवन-यज्ञ व भंडारे का भी आयोजन किया जाता है।
इतिहास:
मंदिर से लंबे समय से जुड़े श्रद्धालुओं का मानना है कि सैकड़ों साल पुराने मंदिर का निर्माण ग्रामीणों की ओर से करवाया गया था। श्रद्धालुओं की बढ़ रही आस्था के चलते करीब पांच साल से मंदिर का जीर्णोद्वार करवाया गया है। मंदिर की देखभाल के लिए प्राचीन शिव मंदिर कमेटी गठित की हुई है। यहां शिवरात्रि पर होने वाले कार्यक्रम विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है।
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कार्यक्रम:
मंदिर में वर्षभर कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में आने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में सुबह शाम होने वाली आरती में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में शिवरात्रि पर मेला, जागरण व भंडारे का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक सोमवार को मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में साल में दो बार कथा पुराण व झांकी निकाली जाती है।
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कैसे पहुंचे:
धारूहेड़ा बस अड्डे से मुख्य बजार करीब आधा किलोमीटर दूर है। धारूहेड़ा से आसानी से पैदल बाजार तक पहुंचा जा सकता है। भिवाड़ी से आने वाले श्रद्धालु भगत ¨सह चौक पर उतर कर पैदल आसानी से मंदिर पहुंच सकते हैं। सबसे प्राचीन मंदिर होने के कारण हर आदमी मंदिर के बारे में जानता है।
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श्रद्धालुओं की गहरी आस्था होने के कारण यहां आए दिन दूर दराज से काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सोमवार को भजन कीर्तन का भी आयोजन करवाया जाता है। सुबह शाम आरती की जाती है, जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। -अशोक जोशी, मंदिर कमेटी प्रधान व पुजारी
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शिव मंदिर का ग्रामीणों के सहयोग से निर्माण किया गया था। सैकड़ों साल पुराने मंदिर के साथ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। मंदिर में पूजा अर्चना करन से मनोकामना पूर्ण होती है। करीब पांच साल पूर्व मंदिर का विस्तार किया गया था। सुबह शाम मंदिर में आरती और समय समय पर हवन यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
-डीके बसंल, श्रद्धालु