पहले भी टूटता रहा है कटखना आतंक का कहर
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: प्रशासन भले आवारा कुत्तों और बंदरों के आतंक को गंभीरता से नहीं ले रहा हो, ल
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: प्रशासन भले आवारा कुत्तों और बंदरों के आतंक को गंभीरता से नहीं ले रहा हो, लेकिन कटखना आतंक का कहर लोगों पर टूटता रहा है। बुधवार को कुत्तों के नोंचने से हुई दो वर्षीय मासूम की मौत की घटना ने एक बार फिर लोगों को झकझोर दिया है। आए दिन इस प्रकार की वारदात कहीं न कहीं घट रही है। इसके बावजूद प्रशासन इन आवारा पशुओं के आतंक पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।
कुत्तों के हमले की घटनाएं
निकटवर्ती गांव कालाका में 21 अप्रैल 2016 को 70 वर्षीय कश्मीरी देवी घर के बाहर खड़ी थी। अचानक एक कुत्ते ने उनपर हमला कर दिया था। कुत्ते द्वारा नोंचने से कश्मीरी देवी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। 25 जुलाई 2013 की सुबह गांव रोलियावास निवासी शिक्षक देवराज वशिष्ठ व पूर्व सरपंच रेणू देवी का 22 वर्षीय बेटा आदर्श दोस्तों के साथ सुबह की सैर पर निकला था। एक आवारा कुत्ते ने आदर्श व उसके दोस्तों पर हमला कर दिया था। आदर्श को रेबीज के सात टीके लगवाने के बावजूद बचाया नहीं जा सका था। आदर्श एमसीए फाइनल इयर का छात्र था। आज भी ये माता पिता आवारा कुत्तों को देखकर सहम उठते हैं।
गांव गुलाबपुरा निवासी करतार ¨सह भी कुत्ते के काटने से अपना बेटा खो चुके हैं। करीब तीन वर्ष पूर्व उनका बेटा अनूप भी कुत्ते के काटने के कारण रेबीज का शिकार हुआ था। इलाज कराने के बावजूद वह बच नहीं पाया और 14 अगस्त 2013 को निधन हो गया। बीएससी और आइआइटी जेईई (मेंस) उत्तीर्ण अनूप जहां इंजीनिय¨रग में करियर बनाने की तैयारी में था।
मासूम की भी ली जान
गांव भडंगी के पंचायत घर में रह रहे सुखलेख का दो वर्षीय बेटा अनिकेत भी आवारा कुत्तों की भेंट चढ़ गया। अनिकेत अपने भाई के साथ अकसर पंचायत घर के बाहर ही खेलता था। बुधवार को वह अकेला ही बाहर निकल गया तथा आवारा कुत्तों का शिकार बन गया। कुत्तों ने अनिकेत को बुरी तरह से नोंच डाला था। मवेशियों पर भी कुत्तों द्वारा हमला करने की घटनाएं जिला में सामने आती रही है।