..तो उसका चालान भी करो साहब
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: फुटपाथों से लेकर बाजार की सड़कों तक पर कब्जा जमाए बैठे अतिक्रमणकारियों के खि
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: फुटपाथों से लेकर बाजार की सड़कों तक पर कब्जा जमाए बैठे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन भी नगर परिषद की कार्रवाई जारी रही। नप की टीम सुबह ही बाजारों में निकली और एक के बाद एक चालान काटने से लेकर सामान जब्त करने तक की कार्रवाई की गई। शहर के बाजारों में तीसरे दिन सबसे रोचक मामला यह सामने आया कि व्यापारी अपना चालान कट जाने पर दूसरे व्यापारियों का भी चालान काटने को लेकर जमकर बहस कर रहे थे। नप पर कार्रवाई में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कई जगहों पर बहस हुई।
कार्रवाई हुई तो सामान रखा भीतर
नगर परिषद की टीम शुक्रवार को शहर के मुख्य बाजारों में पहुंची। टीम ने सबसे पहले रेलवे रोड से अपनी कार्रवाई को शुरू किया। यहां बता देना जरूरी है कि रेलवे रोड पर अतिक्रमणकारियों का सबसे अधिक कब्जा है। शुक्रवार को वहां के व्यापारियों को पहले ही सूचना मिल चुकी थी, इसलिए अधिकांश ने अपना सामान भीतर ही रखा हुआ था। यहां के व्यापारी अमूमन 8 से 10 फीट तक सड़क पर अतिक्रमण करते हैं। रेलवे रोड पर जिन व्यापारियों का सामान बाहर रखा था, उनका चालान काटा गया। टीम फिर गोकल गेट बाजार में पहुंची। वहां पर दुकानदारों ने ऐतिहासिक गोकल गेट को ही व्यापार का ठिकाना बनाया हुआ है। टीम ने यहीं से चालान काटने की कार्रवाई को शुरू कर दिया। गोकल गेट पर दुकानदारों का सामान भी जब्त किया गया। यहां पर कुछ दुकानदारों से ईओ मनोज यादव की बहस भी हुई। चालान कटने से नाराज हुए दुकानदारों का कहना था कि सभी व्यापारियों के चालान काटे जाने चाहिए।
पंजाबी मार्केट में महिला ने भी किया हंगामा
नप की टीम कार्रवाई के दौरान पंजाबी मार्केट में उस संकरी गली में घुस गई, जहां अकसर कार्रवाई होती ही नहीं। वहां के व्यापारियों को भी अंदाजा नहीं था कि आज कार्रवाई उनके ऊपर भी होगी। नप की टीम ने वहां पर भी सड़क तक सामान जंचाकर बैठे दुकानदारों के चालान काटे। वहीं पर एक महिला दुकानदार का चालान काटा गया तो उसने जमकर हंगामा किया। महिला दुकानदार ने साथ की अन्य दुकानों के भी चालान काटने व उनका सामान जब्त करने को लेकर बहस की। नगर परिषद की इस कार्रवाई के बाद बाजार की सड़कें खुली-खुली नजर आई। वहीं कुछ दुकानदार यह कह भी रहे थे कि नप अगर रोजाना एक चक्कर बाजार का लगा जाए तो इस तरह की बहस व बड़े स्तर की कार्रवाई की जरूरत ही नहीं पड़े।