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राज्यस्तर तक खेलकर दब जाती है प्रतिभाएं

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: एक ओर सरकार खेलों को बढ़ावा देने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर शिक्षा

By Edited By: Published: Sun, 04 Dec 2016 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2016 07:13 PM (IST)

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: एक ओर सरकार खेलों को बढ़ावा देने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूल की प्रतिभाओं को सीमित कर रहा है। शिक्षा विभाग प्राथमिक स्कूल की खेल प्रतिभाओं के लिए खंड, जिला और राज्यस्तर पर विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित कराती है लेकिन राज्यस्तर पर विजेता प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिलता। यही कारण है कि बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी अपनी खेल प्रतिभा का आगे प्रदर्शन नहीं कर पाते। शिक्षा विभाग की सीनियर स्कूल खेलकूद प्रतियोगिता में राज्यस्तर पर विजेता रहने वाले खिलाड़ी जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपना दमखम दिखाते हुए खेलों में करियर बनाने के आगे आते हैं वहीं प्राथमिक बच्चों को अपने जिला और प्रदेश में ही दमखम दिखाकर रह जाते हैं।

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रेवाड़ी का रहा है कई खेलों में दबदबा: प्राथमिक स्कूलों के खिलाड़ियों का राज्यस्तर पर दबदबा रहा है। खो-खो में तो जिले के खिलाड़ियों ने हमेशा अपना परचम लहराया है। पिछले दो साल से रेवाड़ी की खो- खो टीम लगातार उपविजेता का खिताब जीत आ रही है। राजकीय प्राथमिक पाठशाला कुंडल के विद्यार्थियों ने प्रदेश में नाम रोशन किया है। इससे पहले जिले के प्राथमिक स्कूलों के खिलाड़ी करीब 12 वर्ष से टीम गेम का खिताब जीतर हे हैं।

नौ वर्षों से जिला में प्रथम:

इस स्कूल के खिलाड़ी पिछले 9 साल से विजेता बनी हुई है। जिले की खो-खो टीम राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पिछले दो साल से उपविजेता बनी हुई है। पीटीआइ का एक दशक से अधिक समय से पद रिक्त होने के बावजूद उपलब्धियां हासिल करना बड़ी बात है। हाल ही में करनाल में आयोजित राज्यस्तरीय प्राथमिक स्कूल खेलकूद प्रतियोगिता के 22 किग्रा कुश्ती में गुजर माजरी के छात्र राकेश ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। वहीं 24 और 30 किग्रा कुश्ती में आसलवास के प्रदीप व सचिदानंद ने कांस्य, लड़कियों के रिले दौड़ में नांधा की पूजा, दिव्या, कशिश, कशिश कुमारी की टीम तृतीय स्थान पर रही।

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कुंडल स्कूल में पिछले 12 साल से खो खो की टीम तैयार कर रहे हैं। यह टीम पिछले 9 साल से लगातार विजेता बनी हुई है। विद्यालय में खेल का मैदान की जगह भी नहीं है। निर्धारित साइज से छोटा मैदान तैयार कर बच्चों को मैं और विज्ञान अध्यापक दिनेश अभ्यास कराते हैं। राज्यस्तर पर तो बच्चे अपना जलवा बिखेर रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर तक जाने के लिए इनके लिए विभाग की ओर से न तो प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं और न ही कोई मंच मिल पाता है। यदि अवसर मिले तो ये खिलाड़ी देश के लिए पदक जीतने का मादा रखते हैं।

चंद्रहास, अध्यापक एवं प्रशिक्षक।


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