जैन मुनि को विधानसभा में बुलाना गलत परंपरा
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जैन मुनि तरुण सागर को विधानसभा में प्रवचन के लिए बुलाए जाने को कांग्रेस
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जैन मुनि तरुण सागर को विधानसभा में प्रवचन के लिए बुलाए जाने को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने गलत परंपरा बताया है।
यहां जारी बयान में विद्रोही ने कहा कि यह भाजपा सरकार का धर्मनिरपेक्ष तानेबाने को तोड़ने का कुप्रयास है। संसद व विधानसभा परिसर लोकतंत्र के मंदिर है। लोकतंत्र के इन मंदिरों में धर्म उपदेश के लिए किसी भी धर्म विशेष के धर्मगुरू को विधायकों/सांसदों को ज्ञान देने के लिए बुलाना संविधान की आत्मा व देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर हथोडे़ से चोट मारने जैसा है।' विद्रोही ने विनम्रता के साथ 'कड़वे बोल' भी बोले। विद्रोही ने जैन मुनि को पिछड़ों व दलितों के संवैधानिक आरक्षण का खुला विरोधी बताया। सोमवार को जारी बयान में विद्रोही ने कहा कि 'मैं जैन मुनि जी का एक संत के नाते सम्मान करता हूं और उन पर की जा रही व्यक्तिगत टिप्पणियों से भी मैं सहमत नहीं हूं। हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार रहने व जीने का अधिकार है, लेकिन दूसरों को भी सम्मान के साथ अपनी बात रखने का हक है।' उन्होंने विस अध्यक्ष की भूमिका पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि 'जैन मुनि को विस परिसर में अनुमति देकर विस अध्यक्ष ने पार्टी हित में संविधानिक अधिकारों का दुरुपयोग किया है।'