Move to Jagran APP

गरीब बेटियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाए हैं शिक्षक दंपती

पुरुषोत्तम गोयल, कोसली : एक शिक्षक का दायित्व केवल किताब पढ़ाना ही नहीं है बल्कि जरूरतमंदों की मदद क

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 12:59 AM (IST)

पुरुषोत्तम गोयल, कोसली : एक शिक्षक का दायित्व केवल किताब पढ़ाना ही नहीं है बल्कि जरूरतमंदों की मदद कर उनके भविष्य को संवारना भी है। कुछ इसी प्रकार की सोच के साथ कोसली उपमंडल में एक शिक्षक दंपती न केवल शिक्षा दे रहे हैं बल्कि कुछ जरूरतमंद बेटियों की शिक्षा का खर्च भी वहन कर रहे हैं। कोसली उपमंडल के झाल गांव स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य राजेंद्र यादव तथा नाहड़ स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्राध्यापिका उमा यादव गरीब बेटियों के लिए आदर्श बने हैं। दंपती का कहना है कि उन्होंने गरीबी का दंश झेला है। आज वे जिस मुकाम पर हैं वहां तक काफी संघर्ष करने के बाद पहुंचे हैं।

loksabha election banner

जब तक पढ़ेगी तब तक किताबों का खर्च उठाएंगे

गांव भड़ंगी निवासी मधुबाला आज दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध एक कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही है। यह वही छात्रा है जिसने इसी वर्ष मार्च में आयोजित हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के 12वीं कक्षा की परीक्षा में कला संकाय में प्रदेश में टॉपर थी। इस छात्रा के पिता मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। इनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे अपनी बेटी को महंगी शिक्षा का खर्च उठा सकें। 12वीं कक्षा में भी इस छात्रा की किताब और कापियों का खर्च इसी शिक्षक दंपती ने वहन किया था। उनका कहना है कि जब तक यह बेटी पढ़ाई करेगी तब तक उसकी किताब और कॉपियों में आने वाला खर्च का जिम्मा वे उठाएंगे।

अन्य छात्राओं की फीस भी भर चुके हैं

शिक्षक दंपती गांव कोहारण की बेटी तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नाहड़ में 12वीं कक्षा की छात्रा किरण तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नाहड़ में अध्ययनरत छात्रा दीपिका पुत्री कुलदीप तथा रजनी पुत्री राजेश कुमार की परीक्षा फीस के साथ किताब और कॉपियों का खर्च उठा रहे हैं। प्राध्यापिका उमा यादव के अनुसार किरण के माता पिता का देहांत हो चुका है तथा वह अपनी दादी के साथ रह रही है। दादी अपनी पेंशन से घर का खर्च चला रही है। अन्य दोनों छात्राएं भी गरीब परिवार से हैं। शिक्षक दंपती इन बच्चों की पढ़ाई में आने वाला खर्च वहन किए हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक वे पढ़ेंगी तब तक उनके किताब और कापियों का खर्च वहन करेंगे।

अपना बेटा है इनका

प्राचार्य राजेंद्र यादव कहते हैं कि उन्होंने गरीबी को काफी करीब से देखा है। आज उनका एक बेटा आइआइटी की पढ़ाई कर रहा है। उनकी कोई बेटी नहीं होने के कारण ऐसे जरूरतमंद बेटियों की मदद कर वे माता पिता के साथ शिक्षक का कर्तव्य निभाने का प्रयास कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.