'आजाद देश में शहादत का सम्मान नहीं हो पाया'
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्थानीय राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शहीद भगत ¨सह ब्रिगेड व देशभ
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्थानीय राजकीय बाल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शहीद भगत ¨सह ब्रिगेड व देशभक्त युवा संगठन की ओर से 'शहीदों के सपनों का भारत' विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डा. रामपाल यादव ने की।
भगत ¨सह ब्रिगेड रेवाड़ी के अध्यक्ष विनोद यादव पहाड़ी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजी सरकार को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। क्रान्तिकारियों से भयभीत होकर ही अंग्रेजों ने भारत छोड़ा। उन्होंने कहा कि आल इंडिया शहीद भगत ¨सह ब्रिगेड की मुहिम शहीद-ए-आजम भगत ¨सह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद व देश की आजादी के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले सात लाख शहीदों को केंद्र सरकार द्वारा शहीद का दर्जा दिलाने व शहीदों के सपनों का भारत स्थापित करने के लिए है।
इसी मुहिम के लिए शहीद भगत ¨सह के वंशज यादवेंद्र ¨सह, शहीद राजगुरु के वंशज सत्य¨सह राजगुरु, शहीद सुखदेव के वंशज अनुज थापर व शहीद चंद्रशेखर आजाद के वंशज अमित आजाद 23 मई 2015 को रेवाड़ी आएंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा शूरवीरों की भूमि है, शौर्य इस प्रदेश की परंपरा रही है। ब्रिगेड जिला रेवाड़ी के उपाध्यक्ष डा. अभय ¨सह ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत ¨सह ने अपनी कलम से लिखा था की भारत आजाद होगा, इसे दुनियां की कोई ताकत रोक नहीं सकती। वह सपना पूरा हुआ, लेकिन आजाद देश में शहादत का सम्मान नहीं हो पाया है।
इस अवसर पर डॉ. तारा सक्सेना, विवेक धींगड़ा, श्रवण कुमार यादव, विनोद यादव, डॉ. अभय ¨सह, विवेक, हरिश यादव सुबे¨सह, महेंद्र, सविता, सुभाष, विक्रम व भूपेंद्र सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में शिक्षिका मोनिका ने मेरा रंग दे बसंती चोला गीत सुनाकर सबको भाव विभोर किया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. अनिरूद्ध यादव ने अंधविश्वास के खिलाफ एवं देशभक्ति का साहित्य विद्यार्थियों को वितरित किया। प्रोफेसर अनिरुद्ध लंबे समय से अंधविश्वास एवं कुरीतियों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। प्रो. यादव का कहना है कि जब तक देश अंधविश्वास से मुक्त नहीं होगा, तब तक सही मायने में तरक्की भी नहीं होगी। वैज्ञानिक सोच व ¨चतन के बल पर ही देश आगे बढ़ सकता है, लेकिन अभी हम बिल्ली रास्ता काटने जैसी बातों में उलझे हुए हैं।