होली पर विशेष : हर्बल रंग बढ़ाते हैं मित्रता और भाईचारा
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : रंगों का पर्व होली खुशहाली और भाईचारे का पवित्र पर्व है। प्रबुद्ध नागरिक
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी :
रंगों का पर्व होली खुशहाली और भाईचारे का पवित्र पर्व है। प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि पानी या गुब्बारे के साथ होली खेलने से अपनापन नहीं झलकता बल्कि वैर भावना का पता चलता है। प्रबुद्धजनों ने हर्बल रंगों का प्रयोग करते हुए एक दूसरे से गले मिलने का आह्वान किया। हमें इस पर्व की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्राकृतिक रंगों के साथ गले मिलकर मनाना चाहिए। हम जैसा आचरण करेंगे बच्चों पर भी इसका उसी के अनुरूप प्रभाव पड़ेगा। कुछ सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कुछ इसी प्रकार का आह्वान किया है।
---------
पानी का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। रंग लगाने की आड़ में दुश्मनी निकालना नहीं चाहिए। खुशी और उल्लास के इस पर्व को यादगार बनाने के लिए पुराने गिले शिकवे मिटाकर गले मिलना चाहिए। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करना चाहिए। रासायनिक रंग हर लिहाज से नुकसानदेय होते हैं।
-डा. करतार यादव, प्रधान, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, रेवाड़ी।
---------
पानी की बचत आज की आवश्यकता है। वैसे भी बदलते मौसम में स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता है। रंग गुलाल के नाम पर रासायनिक रंग स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
-अखिलेश कौशिक, प्रधान, रोटरी क्लब रेवाड़ी मेन।
-----------
अधिक रंग और पानी से होली खेलने से भाईचारा नहीं बढ़ता। हमें इस पर्व पर पानी की बचत करने का संकल्प लेना चाहिए। हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे पूरे साल पछताना पड़े। पर्व ही एक दूसरे के साथ भाईचारा बढ़ाने का उचित माध्यम है।
-अनिल गुलाटी, अध्यक्ष, अलायंस क्लब, रेवाड़ी।
-----------
रंगों का पवित्र पर्व होली मनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। पिचकारी में रंग भरकर या पानी के साथ खेली गई होली से मित्रता या सौहार्द नहीं बढ़ती बल्कि शरीर को नुकसान होने के साथ मन की अशांति बढ़ाती है। क्लब का भी यही संदेश है कि पानी की बचत करना समय की मांग है।
-आरके सैनी एडवोकेट, अध्यक्ष, लायंस क्लब, रेवाड़ी।