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वर्षो से जारी है खुद को जिंदा दिखाने की जद्दोजहद

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: 73 बसंत देख चुके रेवाड़ी निवासी अमर सिंह व उनकी पत्‍‌नी शीला कौर की खुद को

By Edited By: Published: Mon, 02 Mar 2015 01:10 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2015 03:39 AM (IST)

महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: 73 बसंत देख चुके रेवाड़ी निवासी अमर सिंह व उनकी पत्‍‌नी शीला कौर की खुद को जिंदा दिखाने की जद्दोजहद वर्षो से जारी है। वर्ष 1984 के सिख दंगों के दौरान अपने ही परिजनों द्वारा मरा दिखाये जाने के बाद अमर सिंह दंपत्ति खुद को जीवित दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली है।

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अमर सिंह दंपत्ति का कहना है जीवित होते हुए भी दिल्ली दंगों के रिकार्ड में वे मरे हुए हैं। खुद दिल्ली जाकर वे रिकार्ड में अपना व अपनी पत्‍‌नी का नाम देख चुके हैं। अमर सिंह का दावा है कि उनकी बहन बलजीत कौर को भी दंगों में मरा दिखाया हुआ है, जबकि वह आज भी जयपुर में झुग्गी में रह रही है। अमर सिंह का कहना है कि वे दिल्ली में सम्मान से जीना चाहते थे, परंतु परिजनों के डर से उनकी दिल्ली छूट गई।

ये है अमर सिंह की कहानी

अमरसिंह ने पांच दिन पूर्व डीसी रेवाड़ी को दी शिकायत में कहा था कि वह दंगों से पूर्व दिल्ली में भाई के साथ रहता था। दंगों से कुछ दिन पहले जोधपुर में रहने वाली बहन के पास सपत्‍‌नीक चला गया था। इस बीच इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगे हुए और वे जोधपुर से आकर अपने पैतृक स्थान रेवाड़ी में रहने लग गये। बाद में पता चला कि उनके भाई ने ही उन्हें मरा हुआ दिखाकर मुआवजा हड़प लिया। अमर सिंह ने जागरण को भी ये बताया है कि उन्होंने खुद को जिंदा बताकर दिल्ली में कई दफ्तरों में चक्कर लगाये थे, लेकिन कहीं पर सुनवाई नहीं हुई।

कहानी में छुपा है रहस्य

बहरहाल अमर सिंह की कहानी में भी कई रहस्य छुपे हैं। ये पूरा मामला उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है। गेंद अब पीएमओ के पाले में है। उपायुक्त यश गर्ग ने अमर सिंह की शिकायत पीएमओ तक भेज दी है, लेकिन अभी तक किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अमर सिंह से संपर्क नहीं किया है।

अमर सिंह की कहानी का सबसे बड़ा रहस्य ये है कि वह इतने वर्षो तक चुप क्यों रहा? इसका जवाब अमर सिंह ये देता है कि अब मोदी ने दोबारा मुआवजा देने की घोषणा की है। पहले ही मुआवजा हड़प चुके उसके भाई फिर से मुआवजा न हड़प सके, इसलिए वह आगे आया है। अमर सिंह का कहना है कि भाई ने दंगों में मरा हुआ दिखाकर उसका दिल्ली जाने का रास्ता रोक दिया। उसे वर्षो से पहचान उजागर न करने के नाम पर डराया गया, परंतु अब वह सच को दुनिया के सामने लाना चाहता है। अगर सरकार उसे जिंदा मानकर रिकार्ड को दुरुस्त करे तो उन लोगों का चेहरा सामने आ जायेगा, जो उनकी मौत का मुआवजा लेकर अब फ्लैटों में रह रहे हैं।


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