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जल और जंगल की फिक्र के साथ मनाएं जश्न

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: रग लगायें पर पानी बचायें..होली जलायें पर लकड़ी बचाएं। जिस तरह के हालात है उस

By Edited By: Published: Mon, 02 Mar 2015 01:05 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2015 01:05 AM (IST)
जल और जंगल की फिक्र के साथ मनाएं जश्न

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: रग लगायें पर पानी बचायें..होली जलायें पर लकड़ी बचाएं। जिस तरह के हालात है उसे देखते हुए हर किसी को ये अपील करनी होगी। रेवाड़ी जिले में एक ओर जहां औसत से कम बारिश तथा नहरी पानी के अभाव में जल स्तर नीचे जा रहा है, वहीं औद्योगिक विस्तार के कारण पर्यावरण की समस्या भी बन रही है। ऐसी स्थिति में होली का जश्न मनायें, लेकिन जल और जंगल की फिक्र के साथ।

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रेवाड़ी जिले के खोल विकास खंड में स्थिति विकट है। जलस्तर लगातार नीचे जाने से हालात नाजुक है लेकिन इतना होने पर भी हजारों गैलन पानी होली पर बर्बाद कर दिया जाता है। इसी तरह होली दहन के नाम पर भारी मात्रा में लकड़ियों जलाई जा रही है।

हमारी चिंता बढ़ा रहे हैं ये तथ्य

-करोड़ों की लागत से बना मसानी बैराज सूखा पड़ा हुआ है।

-बरसाती नदी साहबी वर्षो से आना भूल चुकी है।

-जंगल साफ हो चुका है। आरक्षित वन क्षेत्र घटकर लगभग सात प्रतिशत रह गया है, जबकि चार-पांच दशक पहले बड़ा क्षेत्र वनाच्छादित था।

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इनसेट:

कहा कितना है भूमिगत जलस्तर (मीटर)

-------------------------- नाम खंड 2006 2013

खोल 38.18 45.96

रेवाड़ी 16.91 14.49

जाटूसाना 12.62 11.16

बावल 22.55 22.58

नाहड़ 14.87 12.25

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इस तरह बचायें पानी

-होली पर प्राकृतिक रगों से हरी खेलें।

-अध्यापक स्कूलों में बच्चों को सूखी होली खेलने के लिए प्रेरित करें।

-अगर आप डाक्टर है तो अपने यहां आने वाले मरीजों को कृत्रिम रगों से होने वाले नुकसान की जानकारी दें।

-सीमित मात्रा में सूखी लकड़ियों का प्रयोग करें। पेड़ न काटें।

-शहरी क्षेत्र के लोगों को चाहिए कि वे कालोनियों में अलग-अलग कई स्थानों पर होलिका दहन की बजाय एक ही स्थान पर होलिका दहन करे। इसमें भी प्रतीकात्मक रूप से कम लकड़ियां जलायें।

-गांवों में भी दो या तीन जगहों की बजाय एक ही जगह होलिका दहन करने की पहल करें।

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होली प्रेम और भाई चारे का प्रतीक है। मैं ये बताना चाहूंगा कि होली पर भारी मात्रा में पानी की बर्बादी करना व लकड़ी जलाना उचित नहीं है। हमें प्राकृतिक रंगों से प्रेमपूर्वक होली खेलनी चाहिए और अपने पर्यावरण की फिक्र करनी चाहिए। जल व पर्यावरण संरक्षण भविष्य के लिए जरूरी है।

यश गर्ग, उपायुक्त

रेवाड़ी

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पर्यावरण प्रदूषण आज गंभीर विषय हैं, लेकिन सावधानी से हम पर्यावरण संरक्षित रख सकते हैं। होली का पर्व खुशियों का पर्व है। हमें अब कीचड़ फेंकने व भारी मात्रा में पानी की बर्बाद करने की गलत परिपाटी छोड़नी होगी। पर्यावरण की फिक्र किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि समाज को करनी होगी।

विपिन कौशल, चेयरमैन

आरसीसीआई

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