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अंधेरी राहों में भरा शिक्षा का उजियारा

जागरण लोगो: सुशिक्षित समाज -------- फोटो संख्या: 1 ----------- सबहेड-आर्थिक रूप से कमजोर बच

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 01:03 AM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 01:03 AM (IST)
अंधेरी राहों में भरा शिक्षा का उजियारा

जागरण लोगो: सुशिक्षित समाज

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फोटो संख्या: 1

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सबहेड-आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रही है माइल्स टू एजूकेट संस्था

- टीम लीडर आशीश सचदेवा सहित कुल 22 युवा कर रहे हैं काम

-साइक्लिंग से भी जुटाते हैं 82 बच्चों की पढ़ाई का खर्चा

मनीष कुमार, रेवाड़ी : शिक्षा हासिल करने में कई बार आर्थिक स्थिति भी कई बच्चों की राह में रुकावट बन जाती है, लेकिन कुछ लोग समर्पित भाव से ऐसी रुकावटें दूर करने में जुटे हैं। रेवाड़ी के आशीष सचदेवा व उनके 21 अन्य साथी अपनी संस्था 'माइल्स टू एजूकेट' के माध्यम से अंधेरी राहों में शिक्षा का उजियारा भर रहे हैं।

शिक्षा के रूप में आशीष व उनके साथी जो ज्ञान का दान दे रहे हैं, वह ऐसा महादान है, जिसकी तुलना में हर दान तुच्छ है। माइल्स टू एजूकेट आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रही है। टीम लीडर आशीश सचदेवा सहित कुल 22 युवा इस संस्था से जुड़कर सुशिक्षित समाज बनाने का काम कर रहे हैं।

संस्था से जुड़े ये युवा साइक्लिंग जैसे माध्यम से भी पैसा जुटाते हैं। इस वर्ष ये संस्था विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे 82 बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठा रही है। अगले वर्ष 150 बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले बच्चों को जब पढ़ाई का पूरा खर्च बिना मांगे मिल जाता है, तब उनकी राह की बाधा भी अपने आप दूर हो जाती है व अभिभावक भी ऐसे बच्चों को पढ़ाने में पूरी रुचि लेते हैं।

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मां की प्रेरणा ने दिया बल

आशीष यहां की वरिष्ठ चिकित्सक डा.ऊषा सचदेवा के बेटे हैं। आशीष सचदेवा वर्ष 2010 तक सेवाभाव से जुड़े ऐसे कामों से दूर थे, लेकिन आर्ट आफ लिविंग संस्था से जुड़ाव व मां की प्रेरणा ने आशीष को कुछ नया करने की प्रेरणा दी। आशीष मोटापा जैसी भयंकर बीमारी के शिकार हो गए थे, लेकिन मां की प्रेरणा से उन्हें नया जीवन मिला। आशीष सचदेवा ने वर्ष 2011 में जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था के लिए ही माइल्स टू एजूकेट सोसायटी का गठन किया तथा बच्चों की शिक्षा पर आने वाले साल भर के खर्च को वहन किया।

उन्होंने अपने कई साथियों को जोड़ा तथा सर्दियों के दौरान साइक्लिंग की शुरूआत की। साइक्लिंग के माध्यम से भी वे अपने परिचितों तथा मित्रों से पैसा एकत्रित करके ऐसे बच्चों पर खर्च कर रहे हैं। आशीष विभिन्न निजी कंपनियों की ओर से आयोजित होने वाली मैराथन दौड़ में भी भाग लेते हैं। इससे मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को भी बच्चों पर ही खर्च करते हैं।

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हम सभी साथी मिलकर इस समय 82 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। अगले वर्ष हमारा लक्ष्य 150 बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने का है। हमें ऐसा करने से सुकून मिलता है।

-आशीष सचदेवा, टीम लीडर, माइल्स टू एजूकेट।


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