यज्ञ मन व मस्तिष्क भी शुद्ध करते हैं: दिव्यानंद
सत्संग का लोगो लगाएं ----------------- फोटो: 21एनएआर-24 -सैद अलिपुर में चल रहे यज्ञ में पूर्णा
सत्संग का लोगो लगाएं
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फोटो: 21एनएआर-24
-सैद अलिपुर में चल रहे यज्ञ में पूर्णाहुति देने पहुची नामचीन हस्तिया
-सात दिवसीय ऋग्वेद परायण महायज्ञ का समापन
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी :
नागल चौधरी के गाव सैद अलिपुर में जगदीश मुनी आश्रम में चल रहा सात दिवसीय ऋग्वेद परायण महायज्ञ आज संपन्न हुआ। पूर्णाहुति देने के लिए इस महायज्ञ में ब्रह्मा की भूमिका निभा रहे स्वामी डा. दिव्यानंद सरस्वती ने मंत्रोचारण के साथ हवन में विश्व कल्याण की कामना में आहुति डलवाई।
उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ पर्यावरण शुद्धि के साथ मन व मस्तिष्क भी शुद्ध करते है। इसलिए समय-समय पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यज्ञ का परिणाम यज्ञ की समय अवधि में ही प्राप्त हो जाता है। इससे सभी रोग, कष्ट व दोषों का निवारण भी हो जाता है। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों की समाप्ति की अपील करते हुए कहा कि मनुष्य अपने स्वार्थ में लिप्त है। इसके चलते वह सिर्फ अपना लाभ देखता है। इस लाभ के लिए वह दूसरों को हानि पहुचाने से भी नहीं चूकता। ऐसी भावना व्यक्ति को गर्त में ले जाती है। अत: उन्हे इससे बचकर समाज व जन कल्याण के लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य करना चाहिए।
यज्ञ में वेदपाठी अमित शास्त्री गुरुकुल शादीपुर यमुनानगर व बिंदेश्वर शास्त्री थे। यज्ञ के सूत्रधार जगदीश मुनी थे, जबकि यज्ञ के अध्वर्यु मास्टर प्रभाती लाल यादव थे। आज इस महायज्ञ में विशेष रूप से राव हरीशचंद बोहरा, राधेश्याम जागिड़ सिलारपुर, रामानंद बहरोड, हरीसिंह गादोज, ताराचंद जालंधरी, महाशय नंदलाल वैद्य, लख्खीराम यादव एडवोकेट, नरदेश महाशय भरतपुर, धर्मबीर खातौली, रामोतार पुरुषार्थी, अमर सिंह ब्रहृमचारी, मास्टर बस्तीराम, राजेश कुमार, थावर सिंह, बाबूलाल शाहपुरा, समाजसेवी रामकृष्ण शास्त्री बहरोड, अनिल भूंगारका ने भी विचार रखे और आयोजन समिति द्वारा बाहर से आए मेहमानों का अभिनंदन किया गया।