फसल सुरक्षा के नाम पर बेजुबानों का 'शिकार'
फोटो संख्या: 6 -खेतों में घूमने वाली नील गायों को बनाया जा रहा है निशाना -जख्मी हालत में घासेड़ा
फोटो संख्या: 6
-खेतों में घूमने वाली नील गायों को बनाया जा रहा है निशाना
-जख्मी हालत में घासेड़ा गांव के स्कूल में घुसी नीलगाय
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: सर्दी की दस्तक के साथ खेतों में घूमने वाली नील गायों के लिए अब अपनी जिंदगी बचाने की 'जंग' शुरू हो गई है। बेजुबान पशुओं को फसल सुरक्षा के नाम पर निशाना बनाया जाने लगा है। सोमवार को इसका वाकया भी देखने को मिला जब खेतों की तरफ से दौड़ती आ रही एक जख्मी नीलगाय जिले के गांव घासेड़ा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आ पहुंची।
सर्दियों में निशाने पर रहती हैं नीलगाय
यूं तो पहले के मुकाबले जिले में नीलगायों की संख्या इतनी अधिक नहीं है, लेकिन सर्दियों के दौरान फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण ये किसानों से लेकर फसल रखवाली का जिम्मा लेने वाले लोगों के निशाने पर रहती हैं। फसल रखवाली के लिए मेवात क्षेत्र से लोग आते हैं और वे रखवाली के नाम पर हथियार भी रखते हैं। ऐसे में नीलगायों को निशाना बनाया जाता है, जिनको लेकर प्रशासन तथा वन्य प्राणी जीव विभाग ने आज तक कोई कदम नहीं उठाया है।
कांटेदार तार दे रहे हैं मौत
अधिकांश किसान फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों के चारों तरफ कांटेदार तारों की बाड भी कर देते हैं और कई बार ये तार इन नीलगायों को इतनी दर्दनाक मौत देते हैं कि कलेजा तक कांप उठता है। नील गायों के दुश्मन फसल की रखवाली करने वाले ही नहीं अपितु आवारा कुत्ते भी होते हैं।
स्कूल में पहुंची नीलगाय
सोमवार को घासेड़ा गांव स्थित राजकीय विद्यालय में जख्मी नील गाय जान बचाने के लिए पहुंच गई। नील गाय बुरी तरह से जख्मी होने के कारण इस कदर 'दहशत' में थी कि मुख्याध्यापक के कार्यालय के अंदर घुस गई। नीलगाय के अचानक स्कूल में घुस आने के बाद एक बार तो हडकंप मच गया लेकिन स्टाफ के साथ बच्चों ने मानवीय संवेदना दिखाते हुए नीलगाय को बाहर भगाने की बजाय उसका उपचार कराया।
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'नीलगाय का शिकार करना कानूनन अपराध है और हम इन वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। गांवों में फसल रखवाली के आने वाले लोगों पर भी निगाह रखी जाती है। ऐसे लोगों के खिलाफ पूर्व में मामले भी दर्ज कराए गए हैं। इन वन्य जीवों को किसी भी तरह नुकसान पहुंचाने वालों पर मामला दर्ज करने की कार्रवाई की जाएगी। कई बार मादा नीलगाय आपस में भी झगड़ पड़ती है। घासेड़ा स्कूल की जानकारी मिल गई हैं और उस नील गाय को पूरा उपचार कराया जाएगा।'
-देवेंद्र कुमार, निरीक्षक, वन्य प्राणी विभाग, रेवाड़ी।