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लीड: ईट भट्ठों पर मेहनत की चक्की में पिस रहा बचपन

-शिक्षा की राह भटक कर मिटटी में तलाश रहे भविष्य फोटो: 23एनएआर-04 संवाद सहयोगी, नागल चौधरी : सरका

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 05:33 PM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 05:33 PM (IST)
लीड: ईट भट्ठों पर मेहनत की चक्की में पिस रहा बचपन

-शिक्षा की राह भटक कर मिटटी में तलाश रहे भविष्य

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फोटो: 23एनएआर-04

संवाद सहयोगी, नागल चौधरी : सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी बाल श्रम पर नकेल नही कसी जा सकी है। जिससे यहा संचालित ईट भट्ठों पर बचपन मेहनत की चक्की में पिस रहा है। ईट भटठों के मालिक मासूम बच्चों को दिहाड़ी का लालच देकर उनसे दिनरात ईट भट्ठों पर काम ले रहे है। देखने पर इन मासूमों की स्थित बंधुआ मजदूरों जैसी प्रतीत होती है। लेकिन इनका दुख दर्द समझने वाला कोई नही है। हालाकि सरकार व न्यायालय की ओर से बाल श्रम की रोकथाम को लेकर सख्त हिदायदें भी दी जा चुकी है, लेकिन असर कुछ भी नजर नही आ रहा है। जिला मुख्यालय पर बाल समाज कल्याण विभाग का दफतर भी है और स्टाफ भी है, लेकिन कार्रवाई की बात करे तो नतीजा ढाक के वही तीन पात नजर आ रहा है।

नागल चौधरी क्षेत्र में चल रहे बाल श्रम की रोकथाम के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यहा ईट भट्ठों सहित होटल-ढाबों, चाय की थड़ियों, किराणा की दुकानों सहित अनेक श्रम साध्य कार्यो पर बाल श्रमिकों को हाड़तोड़ मेहनत करते देखा जा सकता है।

ये थी योजना- शिक्षा का शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए हर वर्ष राज्य सरकार द्वारा पाच से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को पाठशाला से जोड़ने के लिए शिक्षा विभाग को आदेश जारी कर प्रत्येक गाव में शिक्षा से वंचित बच्चों का सर्वे भी करवाया जाता है तथा कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न हो के कड़े निर्देश जारी किए हुए है।

ये है सुविधा- प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक तबके के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए अनेक सरकारी सुविधाए भी मुहैया करवाई जा रही है। सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले आठवी कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा, मुफत वर्दी, अनूसूचित एवं बीपीएल परिवार के बच्चों को प्रोत्साहन राशी, मध्याह्न भोजन की व्यवस्था, अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को भी प्रोत्साहन राशि के अलावा अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। जिन पर सरकार का प्रति वर्ष करोड़ों रूपए खर्च हो रहा है।

यह है नियम: ईट भट्ठा आदि पर काम करने वाले मजदूर वर्ग के लोगों के बच्चों को नियर बाई स्कूल में स्थानातरित करने तथा विधालय से कार्यस्थल की दूरी अधिक होने पर बचचों को स्कूल पहुचाने के लिए सरकार द्वारा वाहन सुविधा का प्रबंध करने का भी प्रावधान है।

भट्ठा पाठशाला ही कर दी बंद- सरकार ने मजदूरों के बच्चों को शिक्षा का लाभ पहुचाने के उदेश्य सन 2010 में भट्ठा पाठशाला खोली थी। खंड में आठ भट्ठा पाठशाला थी। जिस पर बच्चों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध थी। भट्ठा पाठशाला में करीब सात सौ बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे। लेकिन शिक्षा विभाग ने 2012 में ही भट्ठा पाठशाला बंद कर दी। ऐसे में शिक्षा से भटके अब मजदूरों के बच्चे मजदूरी करने को विवश है।

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सर्वे के तहत सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की कोशिश की जाती है। कुछ बच्चों को अपने परिवार के साथ काम में हाथ बटाने की वजह से छूट जाते है। ईट भट्ठा जैसे कार्यस्थल पर भी शिक्षा से वंचित बच्चों को जल्द ही चिन्हित कर विद्यालय से जोड़ा जाएगा।

शक्तिपाल सिंह,खण्ड शिक्षा अधिकारी

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