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प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद तोड़ा शिक्षक ने अनशन

-शिक्षक के समर्थन में छात्र और छात्राएं भी पहुंचे -तहसीलदार ने किया प्रशासन की ओर से हस्तक्षेप

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 04:44 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 04:44 PM (IST)
प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद तोड़ा शिक्षक ने अनशन

-शिक्षक के समर्थन में छात्र और छात्राएं भी पहुंचे

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-तहसीलदार ने किया प्रशासन की ओर से हस्तक्षेप

फोटो संख्या : 17

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी :

दो साल बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा सर्विस बुक जारी नहीं करने और सेवानिवृत्ति के आठ माह बीतने पर भी पेंशन, अर्जित अवकाश आदि की राशि नहीं मिलने से परेशान सेवानिवृत्त शिक्षक रतनलाल गुप्ता ने दूसरे दिन प्रशासन के हस्तक्षेप और एक माह के अंदर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन देने के बाद मंगलवार को अपना क्रमिक अनशन स्थगित किया। जिला शिक्षा अधिकारी संगीता यादव और तहसीलदार विजय सिंह ने उन्हें जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया।

इससे पहले मंगलवार को सुबह से ही उनके समर्थन में अन्य शिक्षकों के साथ उनके द्वारा पढ़ाए गए छात्र और छात्राएं भी अनशन स्थल पर पहुंचकर विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। इसपर पुलिस को भी बुलाना पड़ा था। जिला शिक्षा अधिकारी संगीता यादव द्वारा एसीपी फाइल जल्द पूरी करने और अर्जित अवकाश की राशि का बिल तुरंत जारी करने का आश्वासन दिए जाने के बाद अनशन समाप्त किया।

फीस भरने को नहीं रुपये :

मयूर विहार निवासी पूर्व मुख्य अध्यापक रतनलाल गुप्ता का कहना है कि उनका बेटा एमटेक की पढ़ाई कर रहा है लेकिन फीस भरने में असमर्थता के चलते उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है। वे स्वयं भी कई बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके पास उपचार के लिए भी रुपये नहीं होने और लोगों द्वारा उधार देना बंद करने से वे शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं।

क्या था मामला :

पीड़ित शिक्षक रतनलाल गुप्ता बतौर प्राध्यापक और टींट स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में बतौर मुख्य अध्यापक पद से इसी वर्ष 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने अक्टूबर 2012 में अपनी सर्विस बुक सहित एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेस) मामला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को दिया था। उनकी विभाग की ओर से सर्विस बुक और एसीपी फाइल पूरी नहीं की गई। इससे विभाग के पास उनकी ग्रेज्यूटी, कोमुटेशन, अर्जित अवकाश और पेंशन आदि के मिलाकर करीब 33 लाख रुपये रुका हुआ है। इस समस्या को लेकर मई में उन्हें न्यायालय का सहारा लेना पड़ा। इस मौके पर उनके पुत्र सचिन गुप्ता, तरुण गुप्ता के साथ पूर्व बीईओ आरपी शर्मा, हेमराज गुप्ता, पूर्व प्रधान ओमप्रकाश यादव, पूर्व मुख्य अध्यापक ईश्वरी प्रसाद, छोटेलाल, नरेंद्र, हसला प्रधान हरीश कुमार सहित अनेक शिक्षक भी थे।

संवादहीनता से बढ़ी परेशानी

चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय में मुख्य अध्यापक और प्राध्यापक के मामलों के लिए अलग अलग विभाग हैं। पीड़ित शिक्षक का केस एचआर प्राध्यापक के पास है जबकि उन्होंने मुख्य अध्यापक के एचआर विभाग में ही पत्राचार और संवाद किया। इस मामले को लेकर उन्होंने कभी स्थानीय स्तर पर संपर्क ही नहीं किया। वे अपने स्तर पर ही उच्च विभाग में छानबीन करते रहे। एक सप्ताह पहले ही विभाग को इसके बारे में जानकारी मिली थी। इसकी जब जांच की गई तो उनकी फाइल चंडीगढ़ में ही थी। एक माह के अंदर उनकी सभी समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा।

-रामानंद यादव, उप जिला शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी।


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