लीड-नए आविष्कार के मुकाम तक पहुंची रेवाड़ी की बेटी
नमो देव्यै महा देव्यै: फोटो संख्या:40 ---------------- सबहेड-जर्मनी में बायो मेडिकल सेंसर की डिव
नमो देव्यै महा देव्यै: फोटो संख्या:40
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सबहेड-जर्मनी में बायो मेडिकल सेंसर की डिवाइस विकसित करने का शोध किया पूरा
-अब अन्य शोध कार्य के लिए जाएगी अमेरिका
-चिकित्सा जगत में नए युग के सूत्रपात की दिशा में काम कर रही है
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : अपनी प्रतिभा के बल पर हर मुकाम तक पहुंचने वाली बेटियों की संख्या कम नहीं है। रेवाड़ी की एक बेटी भी अब नए आविष्कार का जनक बनने वाली है। बायो मेडिकल सेंसर के जरिये चिकित्सा जगत में नए युग के सूत्रपात की दिशा में काम कर रही है। रेवाड़ी की बेटी अपने मुकाम तक पहुंचने वाली है, इसके बाद महंगी चिकित्सा से काफी हद तक निजात मिलेगी।
शहर के मोहल्ला छीपटवाड़ा निवासी सेवानिवृत्त प्रो.डीके शर्मा की बेटी हिमानी शर्मा इस मुकाम तक पहुंच गई है। अपने पढ़ाई के दौरान से ही मेधावी रही हिमानी ने प्राथमिक शिक्षा शहर में पूरी करने के बाद केएलपी कालेज से बीएससी नान मेडिकल श्रेणी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। इसके बाद हिमानी ने वर्ष 2009 में राजस्थान की वनस्थली विद्यापीठ से एमएससी इलेक्ट्रानिक्स की परीक्षा उत्तीर्ण की। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पिलानी स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट में स्थित सीएसआइआर से उसने इलेक्ट्रानिक्स में ही पीएचडी की। हिमानी ने शोध के दौरान बायो मेडिकल सेंसर पर शोध किया और इसी शोध के आधार पर उसका वर्ष 2012 में जर्मनी के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की ओर से रिसर्च फेलोशिप के चयन हुआ। अपनी दो साल की कड़ी मेहनत के बाद नेहा ने इसी वर्ष जुलाई में यह रिसर्च पूरा किया है।
महंगी चिकित्सा व्यवस्था का विकल्प
हिमानी ने बताया कि उसके प्रेरणा स्त्रोत उसके दादा अयोध्या प्रसाद शास्त्री तथा बड़ी बहन शशिकला रही है। उनकी मां ने तो एक बार उन्हें जयपुर ही भेजने से मना कर दिया था, लेकिन बड़ी बहन की प्रेरणा से वह इस मुकाम तक पहुंच पाई है। हिमानी ने बताया कि बायो मेडिकल सेंसर के रिसर्च के जरिए वह ऐसा डिवाइस विकसित कर रही है जिसकी मदद से लोगों को सस्ती चिकित्सा सुविधा मिली है। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस के माध्यम जानकारियां भरकर हम बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। हिमानी ने बताया कि अक्सर देखने में आता है कि अधिकांश चिकित्सक मरीजों से वे जांच कराते हैं जिन्हें उनकी जरूरत भी नहीं होती इसलिए गरीब व्यक्ति के लिए तो इलाज कराना भी बेहद मुश्किल है। यह डिवाइस गरीब लोगों के लिए मददगार होगी। हिमानी ने बताया कि वह डिवाइस तो तैयार कर चुकी है और उसे अग्रिम शोध के लिए अब अमेरिका जाना है।