प्राचीन दुर्गा मंदिर बावल
फोटो संख्या 46 से 49 संवाद सहयोगी, बावल : कस्बे के रेलवे स्टेशन के पास स्थित एकमात्र प्राचीन दुर
फोटो संख्या 46 से 49
संवाद सहयोगी, बावल :
कस्बे के रेलवे स्टेशन के पास स्थित एकमात्र प्राचीन दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्रों पर यहां विशेष आयोजन होते हैं।
विक्रम संवत 1969 का बना है मंदिर
मंदिर में उल्लिखित पट्टिका और प्रबुद्धजनों के अनुसार बावल नगर के सेठ कुंदनलाल रस्तोगी, जिन्हें रईस सेठ के नाम से भी जाना जाता था। उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। अपनी पहचान को कायम रखने के लिए उन्होंने विक्रम संवत् 1969 में दूरदराज से आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए एक धर्मशाला व बगीची का निर्माण कराया। यहीं मां दुर्गा के आशीर्वाद से मंदिर निर्माण भी कराया गया।
नौ दुर्गा विराजमान हैं यहां
आज इस मंदिर मे मा शेरावाली की भव्य प्रतिमा के साथ सभी नौ दुर्गा विराजमान हैं। उनके साथ संकट मोचन बजरगी तथा भगवान शनी तथा भैरू सहित भगवान शिव भोले परिवार सहित विराजमान हैं।
नवरात्र में विशेष आयोजन
नवरात्र में सुबह पांच बजे मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। चैत्र व अषोज की अष्टमी क ो छह माही मेला होता है। मेले से एक दिन पूर्व सप्तमी को श्रद्धालु मा दुर्गा की शोभा यात्रा निकालते हैं।
श्रद्धालुओं में है गहरी आस्था
नवरात्र में होने वाले यज्ञ में आहुति डालने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं। सुबह शाम शख व घड़ियाल की धूनी आकर्षण का केंद्र होती है।
-ललता प्रसाद, पुजारी।
----------------
अष्टमी पर लगने वाले मेले में सैकड़ों भक्त जोडे़ की जात तथा अपने बच्चों के जडुले (बाल) मा के चरणों में अर्पित करने आते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना मां जरूर पूरी करती हैं।
-यमुना प्रसाद उर्फ भोलू, प्रबंधक।
----------------
अष्टमी की पूर्व संध्या पर निकाली जाने वाली शोभा यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है। इसमें दुर्गा सेवा समिति के कार्यकर्ता अभी से तैयारी में जुटे हैं। कस्बे के प्रमुख मार्गो से होते हुए पूरे दिन मंदिर में भजन व कीर्तन चलते रहेंगे।
-कालूराम सोनी, संयोजक, दुर्गा सेवा समिति।