इनाम के साथ मिली गांव व नाम को पहचान
खेल दिवस पर विशेष:
फोटो संख्या: 30
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-गांव पुरुखोत्तमपुर निवासी बलराज यादव ने वर्ष 2010 में जीता था रजत
-एशियाई खेलों की नौकायन प्रतिस्पर्धा में देश के लिए भाग लिया
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी : पैसा बहुत कुछ होता है, लेकिन सब कुछ नहीं। यह ठीक है कि मुझे मेरी उपलब्धि के हिसाब से राज्य सरकार ने पुलिस सेवा में पद नहीं दिया, लेकिन 15 लाख के इनाम के साथ मुझे सबसे बड़ा इनाम ये मिला है कि मेरे व मेरे गांव का नाम दुनिया में मशहूर हुआ है। इनाम के साथ गांव व नाम को पहचान मिली है।
ये कहना है वर्ष 2010 में एशियाई खेलों की नौकायन प्रतिस्पर्धा में देश के लिए रजत पदक जीतने वाले रेवाड़ी जिले के गाव पुरुखोत्तपुर निवासी बलराज यादव का।
हालांकि याटिंग एसोसिएशन के साथ हुए विवाद के चलते बलराज इस वर्ष 18 मई से शुरू हुई एशियाई खेलों की ट्रायल में भाग नहीं ले पाये, जिससे वे 2014 में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशियाई खेलों में शामिल होने से वंचित रह गये, लेकिन खेलों से मिले नाम को बलराज एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं।
याटिग एसोसिएशन ने नियम बनाया हुआ है कि एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए एसोसिएशन की सदस्यता जरूरी है। यह सदस्यता हर वर्ष दी जाती है। बलराज को वर्ष 2010 में चीन में हुए एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने के बाद 2011 व 2012 में सदस्यता दे दी गई, परतु इस बार बिना कारण बताये नवीनीकरण का बलराज का आवेदन रद कर दिया गया था। हालांकि ये विषय अब कानूनी विवाद का है, लेकिन बलराज का कहना है खेलों ने उनकी जिंदगी बदली है।
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अब सब इंस्पेक्टर हैं बलराज
नौसेना से सेवानिवृत्त बलराज यादव अब हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि, मुझे हरियाणा सरकार ने 15 लाख रुपये इनाम दिया था। इससे मैं संतुष्ट हूं, लेकिन नौकरी देते समय उनकी उपलब्धि के अनुसार पद नहीं दिया गया। बड़ा पद मिलना चाहिए था, लेकिन खेलों से जो नाम मिला है, उससे मुझे इन बातों का अधिक मलाल नहीं है।