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कपास एवं ग्वार की फसल का लिया जायजा

By Edited By: Published: Wed, 20 Aug 2014 06:11 PM (IST)Updated: Wed, 20 Aug 2014 06:11 PM (IST)
कपास एवं ग्वार की फसल का लिया जायजा

-जागरण प्रभाव

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-किसानों को दी छिड़काव की सलाह

फोटो: 20एनएआर-14 व 15

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ :

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र के गावों का दौरा कर कपास एवं ग्वार की फसलों का जायजा लेकर उनमें रहे रोग के निदान के बारे में किसानों को जागरूक किया। फसलों में रोग लगने की खबर को दैनिक जागरण ने मंगलवार को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद कृषि विशेषज्ञों ने दौरा कर किसानों को जागरूक किया।

बुधवार को केंद्र के पादप रोग विशेषज्ञ डा.रविंद्र चौहान, कीट वैज्ञानिक डा.जयलाल यादव ने माजरा खुर्द, माजरा कला, झूक, भगडाना, पालड़ी, सिसोठ, रिवासा आदि गावों में जाकर किसानों द्वारा लगाई गई कपास एवं ग्वार की फसलों का जायजा लिया। कीट वैज्ञानिक डा. जयलाल यादव ने बताया कि इस वर्ष क्षेत्र में कपास का क्षेत्रफल पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। इसी प्रकार ग्वार की औद्योगिक महत्ता के कारण ग्वार की बुआई भी काफी क्षेत्रफल में की गई है। पिछले दस-पंद्रह दिन से क्षेत्र के किसान ग्वार व कपास की फसल के बीमारी से प्रभावित पौधे केंद्र में लेकर आ रहे थे। इसलिए गावों का दौरा करके किसानों को उनके घर द्वार पर ही उपचार की जानकारी प्रदान की गई है। पादप रोग विषेशज्ञ डा. रविंद्र चौहान ने बताया कि कपास में माइरोथिसियम पत्ता -धब्बा रोग, हरा तेला व सफेद मक्खी नामक कीट का गंभीर प्रकोप है। उन्होने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स 600 से 800 ग्राम रोगोर 350 मिलीलीटर व स्ट्रैटोसाइक्लिन 600 ग्राम दवाई को 200 लीटर के पानी के घोल में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करे। ग्वार की फसल की बीमारी की जानकारी देते हुए कीट वैज्ञानिक डा. जयलाल यादव ने बताया कि ग्वार में इस समय जीवाणु पत्ता अंगमारी (झुलसा रोग) व हरे तेले रोग दिखने में मिला है। उन्होंने बताया कि किसान इसके लिए ब्लाईटॉक्स 200 ग्राम, मैलाथियान 250 मिलीलीटर व स्ट्रैप्टोसाइक्लिन 30 ग्राम दवाईयों को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करे।


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