एंकर..सिर्फ नाम के लिए बने हैं पार्क
ललित मोहन, रेवाड़ी: समय सुबह-छह बजे। स्थान हुडा के सेक्टर तीन में स्थित गढ़ी बोलनी रोड की मेन एंट्री वाले पहले गेट के पास स्थित छोटा सा पार्क। अचानक पड़ोस से एक महिला आती है और घर का कचरा पार्क में फेंककर चली जाती है। मैं हतप्रभ देखता रहता हूं। इसी बीच एक अन्य महिला छत पर खड़ी होकर आलू के छिलके पार्क में फेंक रही है। छिलके ऊपर गिरने के डर व घास की जगह सरपट मैदान देखकर मैं यहां घूमने का इरादा छोड़ आगे बढ़ लेता हूं।
मेरे आगे बढ़ने से पहले ही पार्क में एक गेट खुलता है। जिस परिवार ने बिना हिचक के यहां गेट लगाया हुआ है, उस परिवार के लिए ये मानो निजी संपत्ति है। जनरेटर का धुआं भी इसी पार्क में निकलता है। पड़ोसियों के मन में टीस है, लेकिन पड़ोस से अनबन का डर उन्हें मुखर होने से रोकता है। पार्क के हर कोने में कचरा जमा हो रहा है, लेकिन न नागरिकों को सुध है न हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को।
मेरा इरादा अब ब्रास मार्केट के पार्क में जाने का है, लेकिन वहां पर हालात सेक्टर तीन से भी बदतर थे। मैं किसी बड़े पार्क की तलाश में आगे बढ़ता हूं। जेहन में राव तुलाराम पार्क में सैर करने का विचार आता है, लेकिन यहां का दृश्य भी सुकून देने वाला नहीं है। गर्मी के मौसम में लोग राहत पाने के लिये सुबह-शाम पार्को में जाते हैं, परंतु अधिकांश पार्क काम की बजाय नाम करने के लिए बनाए प्रतित होते हैं।
कहीं पर पार्को में पेयजल की सुविधा नहीं है तो कहीं बैठने के लिये पर्याप्त बेंच नहीं है। कहीं हरियाली के नाम पर सूखा है। राव तुलाराम पार्क में प्रवेश करते ही नाईवाली चौक के पुल की गंदगी से उठती दुर्गध से स्वागत होता है। पार्क में बैठने के लिये घास नहीं होने के कारण लोगों को अपने साथ चादर या बैठने के लिये चटाई साथ लेकर आना पड़ता है। महाराणा प्रताप चौक के पास स्थित नेहरू पार्क में सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है। इसी पार्क के पास शाम के समय असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है। अधिकांश पार्को में इधर-उधर पड़ी शराब की बोतलें खुद व्यवस्था की कहानी कहने के लिए पर्याप्त हैं।
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पार्को के लिए हुडा का बागवानी विंग अलग से काम करता है। मैं अपनी ओर से समस्याओं के समाधान का प्रयास करूंगा। हम उन स्थानों की जांच करवाएंगे, जहां पर कचरा डाला जा रहा है।
-विजय सिंह राठी, संपदा अधिकारी।
हुडा, रेवाड़ी।