जिंदगी में तेजी से बदलाव के लिए हो जाइये तैयार
जागरण संवाददाता, पानीपत देश में पिछले 100 सालों में विज्ञान ने जिस गति से तरक्की की है, आने वा
जागरण संवाददाता, पानीपत
देश में पिछले 100 सालों में विज्ञान ने जिस गति से तरक्की की है, आने वाले समय में उसकी गति और बढ़ेगी। अब इतना बदलाव अगले 10 से 15 सालों में देखने को मिलेगा। दैनिक जीवन के कार्य स्वत: और सही ढंग से होने लगेंगे। ऐसा भौतिकी विज्ञान से संभव है। आर्य पीजी कॉलेज में भौतिकी विज्ञान पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मोबाइल रेडिएशन के मानव शरीर पर दुष्प्रभाव पर चर्चा हुई। युवा विज्ञानियों को सफल बनने के लिए गुण भी बताए।
आर्य कॉलेज के ओपी सिंगला सभागार में उच्चतर शिक्षा निदेशालय के सहयोग से आयोजित एकदिवसीय सेमीनार में 450 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत हुए। संगोष्ठी में चिकित्सा, रसायन, ऊर्जा और कंप्यूटर साइंस में नई तकनीक से आने वाले बदलावों के बारे में चर्चा हुई।
इलाज तो दूर से ही हो जाएगा
1. मुख्य अतिथि नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री, दिल्ली के भूतपूर्व वैज्ञानिक डॉ. आरपी टडन ने बताया कि विज्ञान में नई तकनीकों से मेडिकल साइंस, कंप्यूटर साइंस में बड़ा बदलाव आएगा। इससे काम की गति बढ़ेगी। समय सिलिकॉन युग के नाम से जाना जाएगा।
जानिए क्या होंगे बदलाव
- कंप्यूटर में जो काम गीगा हर्ट्ज में होता है, वह अब टेरा हर्ट्ज में होगा।
- चिकित्सा में ऐसे सेंसर विकसित होंगे, जो शरीर की हर गतिविधि का विवरण देंगे। डॉक्टर दूर बैठे ही रोबोट की मदद से इलाज कर सकेंगे।
- महिलाएं अपने फोन और रिमोट से घर को नियंत्रित व सुरक्षित कर सकेंगी।
2. बाल से भी बारीक होंगी नेनोवायर:
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र से आए डॉ. आरपी चौहान ने नेनोटेक्नोलॉजी पर कहा कि विज्ञान में अब जमाना माइक्रो से नेनो की ओर जा रहा है। वस्तुएं छोटी होकर 3डी, 2डी और 0 डी पर आ रही हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए प्रयोग होने वाले तार मानव शरीर पर बाल से भी बारीक होंगे। ये पर्यावरण में प्रदूषकों की सटीक जांच के उपयोगी होंगे। मानव शरीर में किसी वायरस या कैंसर जांच में यह उपयोगी होगा। इसकी मदद से शरीर के ग्रस्त हिस्से में ही सीधी दवा पहुंचा सकते हैं। मौजूदा तकनीक में सूर्य की गर्मी का सिर्फ 20 फीसदी ही ऊर्जा में तब्दील होता है। नए सोलर सेंसर से ज्यादा ऊर्जा उत्पादन होगा और ये लंबे समय तक चलेंगे।
आयोन बीम से आई क्रांति:
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आयोन एसीलरेटर प्रोजेक्ट प्रभारी डॉ. संजीव अग्रवाल ने बताया कि शोध कार्यो से सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री में क्रांति आई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में डेढ़ साल पहले तकनीकी विभाग दिल्ली की ओर से 12 करोड़ रुपये का प्रोजेक्टर आयोन एसीलरेटर शरू किया, जिस पर 13 सदस्य काम कर रहे हैं। यदि उद्योग आगे आएं तो रेडिएशन प्रदूषण से बचने के लिए ऐसे शीशे बनाए जा सकते हैं, जो सूरज की घातक विकिरणों को रोक सकते हैं। यूरोप में यह पहले से हो रहा है।
नेनो टेक्नोलॉजी से आकार और वजन होगा कम:
जीएमएन कॉलेज, अंबाला के प्रिंसीपल डॉ. आरपी सिंह ने विज्ञान के विद्यार्थियों को कहा कि वे अपने माता-पिता के निर्णय पर नहीं, बल्कि खुद की रुचि अनुसार कार्य करें। यदि विज्ञान में आए हैं तो नया करने की सोचें। इस क्षेत्र के लोगों के बीच समय बिताने से कुछ न कुछ नया हासिल होगा जो भविष्य में काम आएगा। नेनो टेक्नोलॉजी से आकार और वजन हल्का होगा। एयरक्राफ्ट हल्के होने से यात्रा और संचालन में भी कम समय लगेगा।
मोबाइल के साथ असुरक्षित भी हैं लोग:
वाइएमसीए, फरीदाबाद से आए डॉ. एसके चक्रवर्ती ने रेडिएशन खतरों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज इंसान इलेक्ट्रो मैग्नेटिक विकिरणों से नहीं बच पा रहा है। मोबाइल फोन रेडियो विकिरणों पर काम करते हैं। ये माइक्रोवेव ओवन की तरह खतरनाक है। एक मोबाइल टावर के 50 से 300 मीटर के दायरे में रहने वाले पर ज्यादा असर पड़ता है। इससे कैंसर और गर्भपात तक की भी समस्याएं हो सकती हैं। रेडिएशन मानव, पक्षी, पशु, पौधों और पर्यावरण केलिए खतरनाक हैं। बैटरी कम होने पर मोबाइल प्रयोग नहीं करना चाहिए। टावर की संख्या बढ़ाकर भी विकिरणों से बचा जा सकता है।
युवा विज्ञानी के गुण:
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से डॉ. श्याम कुमार ने नोबल पुरस्कृत वैज्ञानिक सर सीवी रमन को याद करते हुए कहा कि युवा विज्ञानी में उत्सुकता, इमानदारी, सच्चाई, सतर्कता और अध्ययन की इच्छा होना जरूरी है। उसमें क्यों, कैसे और क्या के बारे में पूछने की हिम्मत होनी चाहिए। प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता और भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गर्ग ने वैज्ञानिकों व शोधार्थियों को स्मृति चिह्न दिए।
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कई विशेषज्ञों से एक साथ हुई मुलाकात:
एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा से आई कविशा ने बताया कि इस कार्यक्रम में एक साथ कई विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मिला। वह एप्लाइड फिजिक्स में करियर बनाना चाहती हैं।
नेनो टेक्नोलॉजी में है भविष्य:
एमिटी नोएडा की छात्रा विनिशा का कहना है कि यह कार्यक्रम काफी उपयोगी है। आने वाला समय नेनो टेक्नोलॉजी का ही है। हमें नए अवसर मिले हैं।
विद्यार्थियों ने बनाए पोस्टर:
पोस्टर मेकिंग में महाविद्यालय के 150 विद्यार्थियों क्लीन इडिया ग्रीन इडिया, नेनो टेक्नोलॉजी, रेडिएशन के खतरे, वैश्विक तापमान, भ्रूण हत्या, नोटबंदी और डिजिटल इडिया विषयों पर पोस्टर तैयार किए। डॉ. गीताजलि धवन, प्रो. सुदेश और प्राध्यापिका ईरा गर्ग ने निर्णायक की भूमिका निभाई। मंच का संचालन उप प्राचार्य प्रो. राकेश मोहन ने किया।
इन विश्वविद्यालयों से आए
सेमीनार में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा, गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी मुरथल, सेंट्रल इलेक्ट्रोनिक्स इजीनियरिग रिसर्च इस्टीट्यूट पिलानी, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर, चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी भिवानी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से वैज्ञानिक आए।
ये रहे मौजूद:
प्रबंधक समिति के महासचिव सुरेद्र सिंगला, वरिष्ठ सदस्य वीरेद्र सिंगला, प्राध्यापिका शिखा गर्ग, डॉ. गीताजलि साहनी, डॉ. बलकार सिंह, डॉ. अनिल कुमार, शिखा गर्ग, डॉ. शिवनारायण, डॉ. संदीप गुप्ता, प्राध्यापिका सुदेश कुमारी, अदिति मिशाल, उमेद सिंह, ईरा गर्ग, तपन गौतम, मनीषा सैनी, चित्राश भटनागर, अंकिता, सविता, अंजू, मंजू, पूजा व स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।