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मनाना में पंचायती जमीन से विरोध के बीच हटाया कब्जा

जागरण संवाददाता, समालखा : मनाना की पंचायती जमीन पर झोपड़ी डाल कब्जा करने वालों को हटाने क

By Edited By: Published: Tue, 10 Jan 2017 02:39 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2017 02:39 AM (IST)
मनाना में पंचायती जमीन से विरोध के बीच हटाया कब्जा

जागरण संवाददाता, समालखा :

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मनाना की पंचायती जमीन पर झोपड़ी डाल कब्जा करने वालों को हटाने के लिए पहुंचे प्रशासन को विरोध झेलना पड़ा। कब्जाधारी परिवार की महिलाओं ने प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध कर न केवल हंगामा किया, बल्कि महिला सरपंच के पति को खरी-खरी सुना जमकर कोसा। प्रशासन का महिलाओं व बच्चों को एंबुलेंस में बैठा ले जाने का प्लान भी उस वक्त धरे का धरा रह गया, जब लेडी पुलिस हंगामा कर रही महिलाओं को काबू करने में नाकाम रही। हालांकि चार झोपड़ी तोड़ने के बाद पांचवीं में लेटी गर्भवती महिला व बच्चों की हालात देख प्रशासनिक अमला उसे मजबूरन छोड़ जल्द खाली करने की चेतावनी दे लौट आया।

निर्माणधीन अस्पताल से लगते हुए ग्राम पंचायत मनाना की एक एकड़ के करीब जमीन है। इस पर कुछ माह पहले एक परिवार के लोगों ने झोपड़ी डाल रहना शुरू किया और धीरे धीरे वो चार से पांच के करीब हो गए। पता लगने पर ग्राम पंचायत की तरफ से उनको जमीन खाली करने के लिए कहां गया लेकिन वो नहीं हटे। पंचायत ने प्रशासन से जमीन कब्जा मुक्त कराने की मांग की। 6 दिसंबर को बीडीपीओ रविंदर कुमार पुलिस बल के साथ कब्जा हटाने के लिए पहुंचे लेकिन महिलाओं के विरोध व हालात को देखते हुए उन्हें वापिस लौटना पड़ा था।

एक माह बाद दोबारा कार्रवाई

करीब एक माह बाद सोमवार को दोपहर ड्यूटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार डॉ. मनोज अहलावत व थाना प्रभारी नरेंद्र दहिया पुलिस बल और एम्बुलेंस के साथ मौके पर पहुंचे। प्रशासनिक अमले को देखते ही कब्जाधारी परिवार की महिलाओं ने हंगामा कर महिला सरपंच पति संदीप को कोसना शुरू कर दिया। इसके बाद जेसीबी झोपड़ी की तरफ बढ़ी तो महिलाएं उग्र हो गई। पहले तो एक ने माचीस निकाल झोपड़ी व खुद को आग लगाने की धमकी दी। महिला पुलिस कर्मियों ने उसे पकड़ माचीस छीनी तो बच्चों को उठाकर जमीन पर पटकना शुरू कर दिया। ये सब देख अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए और किसी तरह महिलाओं को काबू कर एंबुलेंस तक पहुंचाया। फिर एकाएक जेसीबी से चार झोपड़ी सामान सहित ही धराशाही कर दी गई। इसके बाद भी महिलाओं ने हंगामा खड़ा कर बच्चों सहित झोपड़ी में आग लगा जलकर मरने की धमकी दी, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने उनको समझाया तो वो रोते बिलखते अपने बिखरे सामान को एकत्र करने लगी और प्रशासनिक अमला निकल आया।

महिला की हालत देख छोड़ी झोपड़ी :

कब्जाधारी परिवार में एक महिला गर्भवती भी थी। जिसने परिवार की अन्य महिलाओं के साथ पहले तो प्रशासनिक अमले का डटकर विरोध किया लेकिन बाद में वो बच्चों को लेकर एक झोपड़ी में जा लेटी। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए एकाएक चार झोपड़ी तोड़कर धराशाही कर दी और बची झोपड़ी को भी हटाने के लिए साइड के छप्पर उखाड़ उसमें लेटी गर्भवती महिला को समझा बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन महिला के हालात व बच्चों को देख अधिकारियों ने मानवता दिखा उस झोपड़ी को छोड़ दिया और उन्हें जल्द से जल्द जगह खाली करने के लिए कहां।

तेरा नाश होवेगा :

कब्जे की कार्रवाई के दौरान महिलाएं प्रशासनिक अधिकारियों की बजाय महिला सरपंच पति पर जमकर भड़की। उन्होंने बार-बार हाथ जोड़कर कहा कि सरपंच जुकर तू हामने उड़ाण लाग रया सै, न्यू ए तेरा भी नाश होवेगा। हामने के बेरा था के हाम तने वोट देके बणावें और हामने तू उजाड़ेगा। म्हारे बढ़े भी मनाना मैं रहंदे आए हैं, इब हाम कड़े जावे।

ऐसे चला घटनाक्रम :

दोपहर को 1 बजकर 27 मिनट पर थाना प्रभारी नरेंद्र दहिया पुलिस बल के साथ कब्जा स्थल पर पहुंच गए। इसके बाद पंद्रह मिनट बाद मजिस्ट्रेट तहसीलदार मनोज अहलावत पहुंचे। उनके आने के बाद थाना प्रभारी ने कार्रवाई शुरू कराने की बात कहीं तो मजिस्ट्रेट ने हवाला दिया कि मैं तो कानून व्यवस्था को बनाने के लिए हूं, संबंधित विभाग के अधिकारी का होना भी जरूरी है। बीडीपीओ छुंट्टी पर थे तो एससीपीओ को फोन लगाया और वो नामुंडा मिले। फिर उन्हें आने के लिए कहां और वो करीब सवा दो बजे पहुंचे। दस मिनट बाद कब्जा छुड़वाने की कार्रवाई शुरू हुई और करीब आधा घंटे में विरोध के बीच चार झोपड़ी धराशाही की जा सकी।

आंखों से टपके आंसू

कब्जा कार्रवाई के दौरान हंगामा करने वाली महिलाओं को काबू करने के लिए पहुंची लेडी पुलिस महिलाओं व बच्चों के विलाप को देख खुद को रोक न पाई और उसकी आंखों से टप टप आंसू टपकने लगे। उसे बाद में साथ कर्मियों ने समझाकर रोने से रोका।


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