दरकते किले पर दर्ज होगा सातवां पत्थर
जागरण संवाददाता, पानीपत : किले के विकास के नाम पर सांसद से लेकर विधायक के छह पत्थर लगे हुए
जागरण संवाददाता, पानीपत :
किले के विकास के नाम पर सांसद से लेकर विधायक के छह पत्थर लगे हुए हैं। दरकते ऐतिहासिक किले पर सातवां पत्थर दर्ज होगा। सातवां पत्थर विधायक रोहिता रेवड़ी का लगने जा रहा है। किले के विकास पर 117 लाख रुपये खर्च करने के लिए शिलान्यास पत्थर सोमवार को लगाने की तैयारी शुरू हो गई। मंगलवार को विधायक शिलान्यास करेंगी।
इस किले पर 10 नवंबर 1947 तथा दो दिसंबर 1947 को दो बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आ चुके है। किले के महत्व को देखते हुए बार-बार इसके विकास के लिए बजट मिले। नेताओं ने उद्घाटन पट लगाए। किले के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए पांच जनवरी 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने किले पर महात्मा गांधी म्यूनिस्पिल पार्क का शिलान्यास किया। महात्मा गांधी पार्क बनाया गया, लेकिन देखरेख की अभाव में यह उजड़ गया। वर्ष 2005 में अखिल भारतीय महासचिव जर्नादन द्विवेदी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की अध्यक्षता में गांधी स्मारक पुस्तकालय का शिलान्यास किया। 23 अक्टूबर 2005 में कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रहे रणदीप सुरजेवाला ने महात्मा गांधी प्रतिमा का उद्घाटन किया।
एक नंवबर 2006 को तैयार हुए पुस्तकालय का उद्घाटन तत्कालीन सांसद अरविंद शर्मा ने किया। अध्यक्षता पूर्व विधायक बलबीर पाल शाह ने की। 23 जून 2016 को विधायक रोहिता रेवड़ी ने किले पर एमएल पार्क का शिलान्यास किया। सभी पत्थर आज भी लगे हुए हैं।
बड़े-बड़े नेता आते गए। किले पर इन नेताओं के उद्घाटन शिलान्यास के पत्थर लगते गए लेकिन बाद में किसी भी नेता ने आकर नहीं देखा कि किले की क्या स्थिति है।
किले पर अवैध कब्जे होते चले गए। वहीं किला चौकी, किला सब-डिविजन बिजली निगम, अग्रवाल वाटिका ने भी यहां की जगह को खाली मानकर अपने-अपने भवन बनवा लिए। अब इस किले पर नगर निगम प्रशासन की नजर गई। निगम प्रशासन ने किले की जमीन पर रैन बसेरा बनाया है। किले की मिंट्टी लगातार गिरती जा रही है इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
किला पार्क की चारदिवारी की ग्रील तक चोरी हो चुकी है। किले पर जगह-जगह गंदगी के ढेर पड़े हैं। फुटपाथ दरक गए है। घास व पेड़ पौधे सुखे पड़े हैं। किला पार्क में लगी लाइटें टूट चुकी है।
इतिहास में रूची रखने वाले पर्यटक पानीपत में आते हैं तो एतिहासिक किले को भी देखने जाते हैं, लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं को देखकर निराश लौटते है।
शहर से 65 फीट ऊंचाई पर स्थित
किले का एतिहासिक महत्व है। किले पर बनी एतिहासिक इमारतों को किले से अलग कर दिया गया है। शहर से 65 फीट की ऊंचाई पर यह किला स्थित है। पांडव किला के नाम से इसे जाना जाता है। किला क्षेत्र को ही पुराना शहर गिना जाता है।
अव्यवस्था पर बोले शहरवासी
ऐतिहासिक स्थल किले की दुर्दशा पर लोगों में रोष भी है। यहां के आसपास के क्षेत्र से हजारों लोग जहां किले पार्क में सुबह शाम सैर करने आते हैं वहीं बच्चे बूढ़े यहां पहुंचते हैं। आसपास के बाजार के लोगों ने इसे पार्किग स्थल बना रखा है।
देखरेख के अभाव में हालत बिगड़े : विष्ण
विष्णु कुमार का कहना है कि देखरेख के अभाव में यहां के हालत बिगड़े हैं। किले का सौंदर्यकरण करने के बाद इसकी देखरेख नहीं होती। 23 जून 2016 को शहरी विधायक ने किले पर एमएल पार्क का शिलान्यास किया था आज यहां गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।
शौचालय की मेंटिनेंस नहीं होती : अशोक कुमार
अशोक कुमार ने बताया कि किले पर शौचालयों की मेंटिनेंस नहीं हो रही। लोग इधर उधर गंदगी फैलाते हैं। घास सुख चुकी है। ट्यूबवेल होने के बाद भी पानी नहीं डाला जा रहा।
चौकीदार, माली नहीं : कुणाल
किले पर स्थित निगम के पुस्तकालय में अध्ययन करने पहुंच कुणाल वासी तहसील कैंप ने बताया कि किले पर चौकीदार, माली नहीं है। किले पार्क को बच्चों ने खेलने का मैदान बना लिया है। शौचालय तक की हालत बदतर बनी हुई है। नगर निगम के अधिकारियों को भी शिकायत की जा चुकी है।
सीए, सीएस तक के विद्यार्थी पहुंचते हैं किले पर : तुषार
न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी से आए तुषार ने बताया कि पुस्तकालय में सीए तथा सीएस (कंपनी सचिव) के विद्यार्थी अध्ययन करने पहुंचते है। मेंटिनेंस के अभाव में किला दम तोड़ रहा है। हमें अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संभालना होगा।