बंदर के डर से छत से गिरा मजदूर, जख्मी
जागरण संवाददाता, समालखा कस्बे में बंदरों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। बंदर के काटने विगत
जागरण संवाददाता, समालखा
कस्बे में बंदरों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। बंदर के काटने विगत एक साल में दर्जन के करीब लोग जख्मी हो चुके हैं। चुलकाना रोड की एक महिला की तो छत से गिरने से जान भी जा चुकी है। सोमवार को भी खलीला निवासी मजदूर अशोक बंदर के डर से छत से कूद गया। उसकी टांग टूट गई। वह काठमंडी स्थित लक्ष्मी नारायणा मंदिर के पास किसी के मकान की छत पर काम कर रहा था। उसे बंदरों की टोली ने चारों और से घेर लिया। उसे उपचार के लिए पानीपत ले जाया गया है।
आफिसर कालोनी निवासी सत्यप्रकाश गर्ग ने बताया कि कस्बे में बंदर का आतंक है। नपा ने गत साल बंदरों को पकड़वाने का अभियान चलाया था, जिसे बीच में बंद कर दिया गया। कस्बे में अभी भी हजार के करीब बंदर हैं। वहीं पड़ाव रमेश कुमार ने कहा कि मोहल्ले में सुबह होते ही बंदर रास्ते व छतों पर मंडराने लगते हैं। बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने में भी दिक्कत होती है। महिलाओं और बच्चों को बंदरों का डर भी अधिक होता है। इनके हाथों में खाने का सामान होने पर तो बंदर उन पर टूट पड़ते हैं। लोगों को जान बचाना मुश्किल हो जाता है। महावीर बस्ती के संजय गर्ग कहते हैं कि चुलकाना रोड पर पिछले साल बंदर के डर से एक महिला छत से गिर गई थी, जिसकी बाद में मौत हो गई।
सुनील बंसल कहते हैं कि विगत एक साल में बंदर के काटने से दर्जन के करीब लोग घायल हो चुके हैं। स्थानीय सीएचसी में बंदर का टीका भी उपलब्ध नहीं होता है। टीका के महंगे होने से गरीब लोगों को सूई लगवाने पानीपत जाना पड़ता है। उन्हें समय और अर्थ दोनों की बर्बादी झेलनी पड़ती है। सभी ने नगरपालिका से बंदर पकड़वाने की मांग की है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सचिव ऋषिकेश चौधरी कहते हैं कि यह काम वन्य प्राणी विभाग का है। नपा से उन्हें बंदर पकड़ने का प्रस्ताव भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इसकी शिकायत भी की थी। वन विभाग के अधिकारी से बात भी हुई, लेकिन काम सिरे नहीं चढ़ सका।