'म्हारे पुराणे रपिए दे द्यो, अपणे नै चला लेंगे हाम..'
जागरण संवाददता, पानीपत : दो दिन से बैंक शाखा के धक्के खा रहे हैं। योजना लागू करने से पह
जागरण संवाददता, पानीपत :
दो दिन से बैंक शाखा के धक्के खा रहे हैं। योजना लागू करने से पहले ठीक से विचार-विमर्श नहीं किया गया। अब पैसे की किल्लत आम आदमी के साथ-साथ सरकार के गले की फांस बन रहा है। सिवाह गांव में पीएनबी शाखा से बाहर आकर कुर्सी पर बैठते हुए गांव के एक बुजुर्ग ने दूसरे से यह बात कही। तभी दूसरा बुजुर्ग मजाकिया लहजे में कहता है- म्हारे पुराणे रपिए दे द्यो, अपणे नै चलै लेंगे हाम.. कहते हुए अपने पुराने पैसे वापस मांगते दिखाई दिए। यह नजारा है गांव सिवाह में पीएनबी शाखा का।
नांगलखेड़ी गांव और सिवाह के लोगों ने सरकार के इस फैसले से सहमति व्यक्त करते हुए प्रशासन से बैंकों में नकदी उपलब्ध करवाने की मांग की है।
दवाई के लिए नहीं बचे पैसे: रणबीर
स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण दिनचर्या अव्यवस्थित हो गई है। सांस की बीमारी के लिए निजी अस्पताल से इलाज लेना पड़ेगा। पुराने नोट नहीं चल रहे हैं। नए नोट मिल नहीं रहे हैं। सरकार का निर्णय ठीक है लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं हो पाई। - रणबीर, नांगलखेड़ी।
अमान्य करने से पहले भेजना चाहिए पैसा : प्रदीप कुमार
मेरा नवजात बच्चा बीमार है। खुले पैसे नहीं मिल रहे हैं। उधार भी लेने में परेशानी हो रही है। हालात देखकर डर सा लगने लगा है। सरकार को मुद्रा अमान्य करने से पहले बैंकों में पर्याप्त मात्रा में नई मुद्रा और खुले पैसे भेजने चाहिए थे ताकि लोगों को परेशानी न हो। - प्रदीप कुमार, सिवाह।
एक हफ्ते से खा रहे धक्के: प्रकाशी
मेरे घर में बेटी की शादी है। दिन नजदीक आता दिख चिंता बढ़ रही है। ऐसे में तैयारियों में लगने के स्थान पर मुझे बैंक शाखा के धक्के खाते हुए एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है। परेशानी बढ़ती जा रही है। सरकार को समाधान निकालना चाहिए।
- प्रकाशी देवी, नांगलखेड़ी।
एक दूसरे से हो रही रायशुमारी :
शहर और गांवों के लोग पैसों की किल्लत में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न उपाय सुझा रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस योजना को अमल में लाने से पहले कई गलतियां रही हैं। लोगों का कहना है कि सबसे पहले नकदी की व्यवस्था करवाई जाए। महिलाओं, बुजुर्गो के लिए अलग से लाइन बने। नोट बदलने और पैसे निकालने के लिए अलग काउंटर बने। कामकाजी लोगों के लिए रात को भी बैंक खोले जाएं। इससे दिन में भीड़ कम होगी। व्यापारी वर्ग के लिए एक शाखा अलग निर्धारित की जाए या रात के दो घंटे तय किए जाएं। नए खाते खुलवाने, चैक क्लिय¨रग और फंड ट्रांसफर का काम भी उसी गति में किया जाए।