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मार्च 2017 तक होगी 30 फीसद कैशलेस व्यवस्था : तायल

संजीव गुप्ता, पानीपत नोटबंदी की वजह से हो रही परेशानी अस्थायी है। 31 दिसंबर तक मार्केट मे

By Edited By: Published: Tue, 29 Nov 2016 02:31 AM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2016 02:31 AM (IST)
मार्च 2017 तक होगी 30 फीसद कैशलेस व्यवस्था : तायल

संजीव गुप्ता, पानीपत

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नोटबंदी की वजह से हो रही परेशानी अस्थायी है। 31 दिसंबर तक मार्केट में 11 से 12 लाख करोड़ नई करेंसी आ जाएगी। इसके साथ ही दिक्कत भी खत्म हो जाएगी। हालांकि मौजूदा दौर में करेंसी का जो अभाव है, उसे दूर करने के लिए कैशलेस ट्रांजिक्शन का प्रचलन बढ़ रहा है। लोग इसको लेकर जागरूक हो रहे हैं। उम्मीद है कि 31 मार्च, 2017 तक 30 फीसद तक कैशलेस व्यवस्था हो जाएगी।

यह कहना है शिक्षाविद एवं वित्त मामलों के विशेषज्ञ राकेश तायल का। तायल सोमवार शाम जागरण विमर्श कार्यक्रम के तहत दैनिक जागरण कार्यालय में अपने विचार रख रहे थे। विषय था, कैशलेस सोसायटी का सपना कैसे हो साकार। उन्होंने कहा कि भारत में 90 प्रतिशत लोग कैश में ही ट्रांजिक्शन करते हैं। 2 से 3 फीसद लोग ही कैशलेस व्यवस्था का प्रयोग करते हैं लेकिन नोटबंदी के दौरान लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है। एक चायवाला व छोटा दुकानदार भी अब पेटीएम का उपयोग करने लगा है।

तायल बताते हैं कि कैशलेस व्यवस्था सरल और सुरक्षित है। वैसे भी आजकल ज्यादातर लोग स्मार्ट फोन का प्रयोग कर रहे हैं। वे आसानी से पेटीएम का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया अभी पेटीएम वगैरह के उपयोग पर शुल्क भी लगता है पर वह इसलिए क्योंकि इसका प्रयोग करने वालों की संख्या कम है। जैसे-जैसे ऐसे लोगों की संख्या बढ़ेगी, यह शुल्क खत्म होता जाएगा। उन्होंने बताया कि कैश लेस व्यवस्था पर पेटीएम का एकाधिकार न रहे, इसके लिए विभिन्न बैंकों ने भी अपनी इसी तरह की सेवाएं लांच कर दी हैं।

तायल ने बताया कि नोटबंदी कर डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने की सोच प्रधानमंत्री की दूरगामी सोच है। कैशलेस सोसायटी का सपना पूरा होने में तो अभी कई साल लगेंगे मगर हा, एक तिमाही तक स्थिति काफी बेहतर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि इस नई व्यवस्था से उधार का बाजार भी खत्म होगा और पैसे के लूटने का भय भी नहीं रहेगा।

उन्होंने नोटबंदी के निर्णय को भी सराहनीय बताया। यह भी स्पष्ट किया कि जमीन का रेट बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होता, क्योंकि वह नान प्रोडक्टिव एसेट है। इसी तरह से स्वर्ण में रुपया निवेश करना भी अर्थव्यवस्था के लिए बढि़या नहीं है। नोटबंदी से इन दोनों के दाम गिरेंगे, जोकि आम आदमी की पहुंच में होंगे।

जानिए इनके बारे में

राकेश तायल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कालेज से अर्थशास्त्र ऑनर्स में स्नातक उपाधि ली। इसके बाद यूके से मल्टीनेशनल फाइनेंस में एमबीए किया। वर्तमान में वह पानीपत ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं।


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