Move to Jagran APP

डिफॉल्टरों की बढ़ती संख्या से बिजली निगम हुआ पस्त

जागरण संवाददाता, समालखा : एक ओर तो सरकार शत प्रतिशत बिजली बिल भरने वाले गांवों को 24 घंटे बिजली देने

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 09:14 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 09:14 PM (IST)
डिफॉल्टरों की बढ़ती संख्या से बिजली निगम हुआ पस्त

जागरण संवाददाता, समालखा : एक ओर तो सरकार शत प्रतिशत बिजली बिल भरने वाले गांवों को 24 घंटे बिजली देने की घोषणा की है, दूसरी ओर समालखा सबडिवीजन में डिफॉल्टरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 4137 डिफॉल्टरों पर विभाग का 15.40 करोड़ रुपये बकाया है। फिर भी उपभोक्ता अधिक बिजली देने की मांग कर रहे हैं। कस्बे में लाइन लॉस जहां 60 से 65 प्रतिशत के बीच है, वहीं गांव में इसकी प्रतिशत 80 से 85 प्रतिशत तक।

loksabha election banner

गौर है कि बिजली चोरी से सरकार तो प्रति यूनिट बिजली दर बढ़ने से उपभोक्ता परेशान हैं। लाइन लास रोकने के लिए विभाग द्वारा शहर व कस्बे में घरों के बाहर बिजली मीटर लगाने का अभियान चलाया गया है। बिजली दर अधिक होने से मीटर बदलने और उसे बाहर लगाने का अभियान लोगों को रास नहीं आ रहा है। लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। इस हाल में लाइन लास को कम करना विभाग के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। बिजली विभाग की वसूली का हालत भी ठीक नहीं चल रही है। विभाग की शिथिलता से कस्बा सहित गांवों में डिफॉल्टरों की फेहरिस्त बढ़ी जा रही है। महीनों से उनके बिल लंबित पड़े हैं, लेकिन उनके कनेक्शन काटे नहीं जा रहे हैं। लोगों पर दस हजार से लेकर 30 हजार तक बकाये हैं। पंट्टीकल्याणा के 273 उपभोक्ताओं पर 86.68 लाख, जौरासी के 257 लोगों पर 70 लाख तो नरायाणा के 154 लोगों पर विभाग का 30 लाख रुपये बकाया है। कस्बे के डिफॉल्टरों पर तो विभाग का करीब दो करोड़ रुपये बकाया है। मालूम हो कि समालखा सबडिवीजन में 27 हजार के करीब उपभोक्ता हैं। केवल कस्बे में ही उपभोक्ताओं की संख्या 11 हजार के करीब है। इस हाल में गांवों को जगमग बनाना कैसे संभव होगा।

यह कहते हैं अधिकारी

कार्यकारी अभियंता सुरेश बंसल का कहना है कि अब धान के सीजन का लोड कम हुआ है। कर्मचारी व अधिकारी को कुछ फुर्सत मिली है। अगले महीने से वसूली में तेजी लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार निश्चित समय के 15 दिन पूर्व तक बिल नहीं भरने पर ही उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे जा सकते हैं, लेकिन किसान तो धान व गेहूं के सीजन में बिल जुर्माना सहित भरते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.