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जागरुकता से रुकेगा जल संसाधनों का दोहन : ढुल

जासं, पंचकूला : प्राकृतिक जल संसाधनों के अत्याधिक दोहन के कारण आज लोगों को जागरूक करने क

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 03:00 AM (IST)
जागरुकता से रुकेगा जल संसाधनों का दोहन : ढुल

जासं, पंचकूला : प्राकृतिक जल संसाधनों के अत्याधिक दोहन के कारण आज लोगों को जागरूक करने के लिए जल मंच ने बीड़ा उठाया है। सेमिनारों के आयोजन की बहुत आवश्यकता है और जल मंच जरूरत के अनुसार ही पानी का प्रयोग करने के बारे में जागरूक कर रहा है। यह बात जल मंच के कनवीनर कृष्ण कुमार ढुल ने सेक्टर-14 में आयोजित एक सेमिनार में कही। कृष्ण ढुल ने कहा कि मानवीय सभ्यताओं और जल व्यवस्था में गहरा संबंध रहा है। सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है। अब प्राकृतिक जल संसाधनों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है। गाव के तालाबों का बड़ा महत्व है। प्राकृतिक जल संसाधन एक संवेदनशील मुद्दा है। विश्व में सबसे पहले सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है, क्योंकि कोई भी व्यवस्था पानी के बिना विकसित हीं नहीं हो सकती। भारत में भी सभ्यताएं नदियों के किनारे ही विकसित हुई हैं, क्योंकि इन नदियों का जल प्राकृतिक रूप से सबसे शुद्ध होता है। हवा, पानी मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए पानी बचाना जरूरी है। सबको चाहिए कि वो जल संसाधनों को बचाए व पानी का किफायती प्रयोग करें, क्योंकि इसमें ही बुद्धिमता व समझदारी है। पृथ्वी के 70 प्रतिशत भाग पर पानी है, परन्तु पीने लायक पानी बहुत ही कम है। प्राकृतिक बरसात व अन्य स्त्रोतों से हमें पेयजल भी मुफ्त मिलता है। हमें इसके महत्व को समझना होगा और प्राकृतिक जल संसाधनों के रखरखाव की ओर जाना होगा। सेमिनार में डॉ. आशीष वशिष्ठ, जल मंच के अन्य पदाधिकारी ने भाग लिया।


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