ग्रेट खली की डब्ल्यूडब्ल्यूई कुश्ती का 'एक्शन' अब हरियाणा में
हरियाणा में भी जल्द ही रेसलिंग मुकाबले होने जा रहे हैं। खली गुड़गांव और पानीपत में डब्ल्यूडब्ल्यूई के कुश्ती मुकाबले करवाएंगे।
जेएनएन, चंडीगढ़। डब्ल्यूडब्ल्यूई कुश्ती की दुनिया में बड़ा नाम दिलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली मनोरंजक कुश्ती को हरियाणा में लाने वाले हैं। इसके तहत खली प्रदेश सरकार के सहयोग से 8 और 12 अक्टूबर को गुड़गांव और पानीपत में डब्ल्यूडब्ल्यूई के कुश्ती मुकाबले कराने जा रहे हैं। इतना ही नहीं खली खुद भी इस दौरान रिंग में उतर कर विरोधी पहलवानों को चुनौती देंगे। आमतौर पर एमेच्योर कुश्ती का गढ़ माने जाने वाले राच्य में पहली बार मनोरंजक कुश्ती का आयोजन किया जाएगा।
हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज के साथ पत्रकार वार्ता में खली रू-ब-रू हुए। खली ने कहा कि हरियाणा में कुश्ती की बेहद संभावनाएं हैं, इसलिए वह डब्ल्यूडब्ल्यूई के मुकाबले कराने जा रहे हैं। खली के मुताबिक इस बारे में उनकी दिल्ली के मुख्यमंत्री से भी मुलाकात हुई थी। खली की मानें तो उनकी एकेडमी में अधिकांश पहलवान हरियाणा से ही हैं। राच्य में भी उनकी एकेडमी खोलने की इच्छा है।
अंडरटेकर सहित दुनिया भर के पहलवानों को चुनौती
खली ने यह भी कहा कि इन मुकाबलों में जो पहलवान दमदार होगा वह उससे मुकाबला करने को भी तैयार है। उन्होंने मनोरंजक कुश्ती में अंडर टेकर जैसे अंतरराष्ट्रीय पहलवान को मुकाबले के लिए खुली चुनौती भी दी। खली ने कहा कि जिसमें भी दम है वो उनके साथ यहां आकर लड़कर दिखाएं। उन्होंने तो उनके देश में 15 साल तक फाइट की है, अब वह आएं।
एमेच्योर और डब्ल्यूडब्ल्यूई अलग-अलग
एमेच्योर कुश्ती और डब्ल्यूडब्ल्यूई की तुलना के सवाल पर खली बचते नजर आए। उन्होंने कहा कि दोनों अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों का अपना महत्व है। जब उनसे पूछा गया कि उनकी कुश्ती आमतौर पर मनोरंजन से भरपूर होती है तो इस पर उन्होंने उल्टा सवाल किया कि स्पोट्र्स क्या है? इसके पीछे उनका तर्क था कि हर स्पोट्र्स मनोरंजक होता है। इसी बीच खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य में होने वाली डब्ल्यूडब्ल्यूई कुश्ती मनोरंजन कर से मुक्त होगी।
हिमाचल से नहीं मिला रिस्पॉन्स
मूल रूप से हिमाचल के रहने वाले खली वहां पर भी गेम को प्रमोट करना चाहते थे लेकिन किसी ने रिस्पॉन्स नहीं दिया। उनका कहना था कि वह दफ्तरों के चक्कर नहीं लगा सकते। खली की मानें तो जब उन्होंने कुश्ती शुरू की थी तो उनकी जेब में पैसे भी नहीं होते थे। यहां तक कि सोने के लिए कमरा तक नहीं था।