आदिबद्री से पेहवा तक गुलजार होगी सरस्वती नदी
सरस्वती नदी को उसका खोया गौरव वापस दिलाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें गंभीर हो गई हैं। सरस्वती नदी शोध संस्थान ने यमुनानगर के आदिबद्री से पेहवा तक सरस्वती नदी के किनारे पर्यटन केंद्र बनाने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकारों को रिपोर्ट भेजी है।
चंडीगढ़। सरस्वती नदी को उसका खोया गौरव वापस दिलाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें गंभीर हो गई हैं। सरस्वती नदी शोध संस्थान ने यमुनानगर के आदिबद्री से पेहवा तक सरस्वती नदी के किनारे पर्यटन केंद्र बनाने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकारों को रिपोर्ट भेजी है। इस पर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा गठित सरस्वती हैरीटेज विकास बोर्ड के साथ काम शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल बोर्ड के चेयरमैन और पर्यटन मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा सदस्य हैं।
सरस्वती नदी शोध संस्थान ने केंद्र व राज्य सरकारों को भेजी रिपोर्ट
सरस्वती नदी शोध संस्थान ने केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री डा. महेश शर्मा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को यह रिपोर्ट भेजी है। दर्शन लाल जैन संस्थान के अध्यक्ष और भारत भूषण भारती उपाध्यक्ष हैं। सरस्वती नदी यमुनानगर के आदिबद्री से आरंभ होकर पेहवा-कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, फतेहाबाद और सिरसा को होते हुए राजस्थान में प्रवेश करती है।
राजस्थान के भी सात जिलों में बहती है और नागौर को होते हुए गुजरात में प्रवेश करती है। गुजरात के छह जिलों में बहती हुई भारत-पाक सीमा पर फारस की खाड़ी में जाकर अरब सागर में समा जाती है।हरियाणा में सरस्वती 275 किलोमीटर लंबी है। पेहवा से आगे गुहला चीका में गांव फटका के पास सरस्वती का कुछ हिस्सा घग्घर नदी में मिलता है।
खोदाई कर दादूपुर नलवी नहर का पानी छोडऩे की योजना
सरस्वती नदी शोध संस्थान के उपाध्यक्ष भारत भूषण भारती के अनुसार आदिबद्री से पेहवा तक नदी पर पर्यटन को बढ़ावा देने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस हिस्से की खुदाई कर दादूपुर नलवी नहर का पानी इसमें छोड़ा जाएगा।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और प्रदेश सरकार को जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें आदिबद्री में सोमनदी पर चैक डैम बनाने, बौद्ध विहार की खुदाई कर उसे विकसित किए जाने और सरस्वती संग्रहालय को राष्ट्रीय स्तर का बनाए जाने के सुझाव दिए गए हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल बनाने और आदिबद्री को जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के साथ ही कलेसर वन्य प्राणी विहार व आदिबद्री की कनेक्टिविटी करने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना पर इको-टूरिज्म के तहत काम करने का सुझाव दिया गया है।
भारती के अनुसार, आदिबद्री से पेहवा तक सरस्वती की खोदाई कर दोनों किनारों पर पटरी बनाई जानी चाहिए। नदी के दक्षिणी साइड पर पक्की सड़क बनाने की जरूरत है। आदिबद्री से पेहवा के बीच पडऩे वाले कपालमोचन, बिलासपुर, मुस्तफाबाद, भगवानपुर, पिपली, कुरुक्षेत्र, भोर सैयदा, बीबीपुर, पेहवा और स्योंसर को इको-टूरिज्म के तहत विकसित किया जाना चाहिए।
केंद्र व राज्य सरकारों को भेजी रिपोर्ट में कपालमोचन में सिखों की आस्था से जुड़े संग्रहालय को व्यापक स्वरूप देने, पेहवा में 11 हजार एकड़ में सरस्वती वन्य विहार बनाने, यहां हर्बल पार्क, मोटल व कृत्रिम झील बनाने के सुझाव भी दिए गए हैं। भारती के अनुसार कुरुक्षेत्र के श्रीकृष्ण संग्रहालय को राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाए तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालाय में बने बौद्ध स्तूप को विकसित किया जाए।