भ्रष्टाचार से जंग में सरकारों से नहीं घबराए संजीव चतुर्वेदी
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख हरियाणा कैडर के आइएफएस संजीव चतुर्वेदी की तासीर में ही है। संजीव जहां भी गए कोई न कोई फर्जीवाड़ा पकड़ा। इसके लिए उन्हें हर बार इनाम की जगह सजा ही मिली।
चंडीगढ़। भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख हरियाणा कैडर के आइएफएस संजीव चतुर्वेदी की तासीर में ही है। मूल रूप से लखनऊ शहर के चंद्रलोक (अलीगंज) के निवासी संजीव जहां भी गए कोई न कोई फर्जीवाड़ा पकड़ा। इसके लिए उन्हें हर बार इनाम की जगह सजा ही मिली। यहां तक कि चार्जशीट का सामना भी करना पड़ा। प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे अवार्ड के लिए चुने गए संजीव चतुर्वेदी भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग में सरकारों ने नहीं घबराए।
बतौर वन अधिकारी उनकी पहली पोस्टिंग कुरुक्षेत्र में हुई थी। 2002 बैच के इस अधिकारी का हरियाणा सरकार के साथ लंबा टकराव रहा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से उन्हें राहत मिल चुकी है। इससे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति भी वर्ष 2008 में हरियाणा सरकार द्वारा संजीव चतुर्वेदी को निलंबित करने के आदेश को पलट चुके हैं। 2011 व 2013 के दौरान चतुर्वेदी के खिलाफ दो चार्जशीट को राष्ट्रपति ने निरस्त कर दिया था।
कांग्रेस और भाजपा सरकारों से हुआ चतुर्वेदी का टकराव
हरियाणा सरकार व चतुर्वेदी के बीच तनातनी काफी देर चली। वर्ष 2005 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चतुर्वेदी को 12 बार तबादलों का सामना करना पड़ा। सरकार से उनका टकराव वन विभाग में झज्जर में हुए पौधरोपण घोटाले को लेकर हुआ था। इसमें चतुर्वेदी पर दो आपराधिक मामले तक दर्ज हुए।
2010-11 तथा 2011-12 में उनकी एसीआर में भी नकारात्मक टिप्पणी की गई। इसके बाद वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास न्याय के लिए पहुंच गए। भाजपा ने केंद्र में सत्ता में आने के बाद संजीव चतुर्वेदी को एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटा दिया था। इसे लेकर भी काफी विवाद हुआ। वर्तमान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का नाम विवाद में आने से मामला पीएमओ तक भी पहुंचा। अभी चतुर्वेदी केंद्र में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
विज ने दी बधाई
मैग्सेसे अवार्ड के लिए चुने जाने पर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने चतुर्वेदी को ट्वीट कर बधाई दी है।