राज्यसभा चुनाव : दो में से एक सीट पर फंसा पेंच, इनेलो के पास चाबी
हरियाणा में खाली हो रही राज्यसभा की दो सीटों के लिए राजनीतिक जोड़तोड़ पूरे जाेरों पर है। ये दोनों सीटें केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और सुरेश प्रभु के हैं। संख्या बल के हिसाब से भाजपा एक सीट तो आसनी से जीत जाएगी, लेकिन दूसरी के लिए पेंच फंस गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और सुरेश प्रभु की खाली हो रही दो राज्यसभा सीटों के लिए हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर एक सीट भाजपा के खाते में जाना तय है, लेकिन दूसरी सीट पर पेंच फंस गया है। इसके लिए जोड़तोड़ हो सकती है और इसका केंद्र इनेलो बन गया है। इनेलो के सहयोग के बिना न तो भाजपा दूसरी सीट जीत सकती है और न कांग्रेस को कोई लाभ मिल सकता है।
इनेलो ने राज्यसभा चुनाव को लेकर भाजपा का समर्थन करने या खुद का उम्मीदवार उतारने का फैसला पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला पर छोड़ा है।विधानसभा सचिवालय की ओर से राज्यसभा की दोनों सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम जारी किया जा चुका है।
दोनों सीटों के लिए 31 मई तक नामांकन भरे जा सकेंगे। 1 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 3 जून तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। 11 जून को मतदान हाेगा। हरियाणा से राज्यसभा की पांच सीटें हैं, जिनमें से दो पर चुनाव होना है। राज्यसभा की दोनों सीटें 2 अगस्त को खाली हो रही हैं।
90 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को इन दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए 62 विधायकों की जरूरत होगी। पहली एक सीट के लिए भाजपा को 31 विधायक चाहिए। पार्टी को खुद के 47, चार निर्दलीय और एक बसपा विधायक का समर्थन हासिल है। यानि भाजपा के पास 52 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए पहली सीट पर कोई जोखिम नहीं है, लेकिन दोनों सीट जीतने के लिए उसे 10 और विधायकाें के समर्थन की जरूरत है।
ऐसे में भाजपा को इनेलो के विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। इनेलाे के 19 विधायक अाैर उसके सहयोगी अकाली दल का एक विधायक है। कांग्रेस द्वारा भाजपा को समर्थन करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस के 15 विधायक थे और हजकां के विलय के बाद उसके विधायकों की संख्या 17 हो गई है। इसके अलावा उसे एक निर्दलीय विधायक जयप्रकाश का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है।
इनेलो विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला ने अभी तय नहीं किया कि राज्यसभा चुनाव में उनकी पार्टी भाजपा का समर्थन करेगी अथवा नहीं। उन्होंने बताया कि फैसले का अधिकार पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला पर छोड़ दिया गया है।
संभावना यह भी जताई जा रही है कि यदि भाजपा के साथ इनेलो की सहमति नहीं बन पाई तो इनेलो खुद का उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा से अपना समर्थन करने को कहा जा सकता है। भाजपा इस बात के लिए राजी होगी, इसकी संभावना कम है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पिछले दिनों इनेलो के सामने सर्वसम्मति का उम्मीदवार उतारने की पेशकश की थी, लेकिन जिस तरह से हुड्डा और चौटाला में तलवारें खिंची हुई हैं, उसे देखकर नहीं लग रहा कि दोनों दल किसी एक उम्मीदवार के नाम पर सहमत हो सकते हैं।