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अब, हरियाणा में 10वीं व 8वीं पास ही लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव

हरियाणा में सरकार ने पंचायत चुनाव लडऩे के लिए शैक्षणिक योग्यता तय कर दी है। राज्य में अब दसवीं व आठवीं पास व्यक्ति ही पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे। सामान्य श्रेणी के लिए शैक्षणिक योग्यता दसवीं और महिलाओं एवं दलितों के लिए आठवीं पास निर्धारित कर दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2015 12:53 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2015 05:33 PM (IST)
अब, हरियाणा में  10वीं व 8वीं पास ही लड़ सकेंगे पंचायत चुनाव

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में सरकार ने पंचायत चुनाव लडऩे के लिए शैक्षणिक योग्यता तय कर दी है। राज्य में अब दसवीं व आठवीं पास व्यक्ति ही पंचायत चुनाव लड़ सकेंगे। सामान्य श्रेणी के लिए शैक्षणिक योग्यता दसवीं और महिलाओं एवं दलितों के लिए आठवीं पास निर्धारित कर दी है।

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मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता यहां हुई कैबिनेट बैठक में पंचायतीराज चुनाव के लिए तय नए मापदंडों को मंजूरी दी गई। अभी तक उम्मीदवारों के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता तय नहीं थी। हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 में संशोधन कर सरकार ने चुनाव संबंधी और भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

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पंचायती राज में नैतिक स्वच्छता लाने के मद्देनजर सरकार ने आपराधिक प्रवृत्ति और चार्जशीट (जिसमें दस वर्ष की सजा हो सकती हो) उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे पर रोक लगा दी है। मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों के लिए सहकारी बैंकों का कर्ज व बिजली का पूरा बिल भरना अनिवार्य है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के मद्देनजर स्वच्छ हरियाणा का संकल्प पूरा करने के लिए हर उम्मीदवार को घर में शौचालय होने का स्व-प्रमाणित शपथ पत्र देना होगा। सर्व सम्मति से निर्वाचित होने वाली पंचायत को सरकार पहले से अधिक प्रोत्साहन राशि देगी। राशि में बढ़ोतरी का निर्णय जल्द लिया जाएगा। इसका उद्देश्य अधिक से अधिक पंचायतों को सर्व सम्मति से निर्वाचित कराना है।

पंचायत चुनाव की घोषणा जल्द होनी है, इसलिए सरकार नए प्रावधानों को कानून बनाने के लिए अध्यादेश लाएगी। विधानसभा सत्र अभी न होने के कारण यह कदम उठाया जाएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं का स्तर बेहतर करने के लिए सरकार ने चुनाव लडऩे के लिए नए मापदंड तय किए हैं। राजनीतिक शुचिता लाने के लिए यह कदम उठाया गया है। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और जनता को स्वच्छ पंचायती राज सिस्टम देने के लिए यह जरूरी है।

राजस्थान में हो चुका प्रयोग, फर्जी डिग्रियां पकड़ी गईं

पंचायती राज उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता तय का फार्मूला सबसे पहले राजस्थान सरकार अपना चुकी है। वहां यह लागू हो तो गया लेकिन प्रदेश में फर्जी डिग्री से पंच व सरपंच बनने के काफी मामले सामने आए। प्रधान पद पर 200 उम्मीदवार दसवीं व आठवीं की फर्जी डिग्री लेकर निर्वाचित हो गए।
हरियाणा में भी नए नियम लागू होने पर इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि ऐसे मामलों में कानून अपना काम करेगा।

सरकार को राजस्व का होगा फायदा
पंचायत चुनाव में नए मापदंड लागू होने पर सरकार को राजस्व लाभ होगा। चुनाव लडऩे के इच्छुक उम्मीदवारों को नामांकन भरने से पहले बिजली बिल और सहकारी बैंकों का कर्ज चुकाना होगा अन्यथा उनके नामांकन फार्म निरस्त हो जाएंगे। इससे सरकारी कोष में करोड़ों रुपये जमा होने की उम्मीद है। गांवों में चुनिंदा लोग ही ऐसे होंगे जिन पर कर्ज या बिजली बिल बकाया न हो।

विरोध के स्वर हो सकते बुलंद

भाजपा सरकार के पंचायत चुनाव के लिए नए मापदंड का लागू होते ही प्रदेश में भारी विरोध हो सकता है। प्रदेश में उम्रदराज ग्रामीण नेता दसवीं व आठवीं पास कम ही हैं। नए प्रावधान का युवाओं को फायदा होगा। राजनीतिक दल भी इसके विरोध में झंडा बुलंद कर सकते हैं।

सांसद-विधायकों, जिला परिषद व स्थानीय निकायों में नहीं प्रावधान

पंचायत चुनाव के लिए सरकार ने भले ही शैक्षणिक योग्यता तय कर दी हो, लेकिन देश में अभी निकाय स्तर, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और राष्ट्रपति के चयन में शैक्षणिक योग्यता का मापदंड नहंीं है।

सरकार के तर्क
-73वां संवैधानिक संशोधन लागू होने के बावजूद ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों तथा जिला परिषद की खराब कार्यवाही के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों की निरक्षरता आम बहाना?
-निर्वाचित सदस्य सरकारी कर्मचारियों, सगे संबंधियों या मित्रों पर निर्भर
- सहकारी बैंकों के ओवरडयू ऋणों की गैर अदायगी के कारण खतरे में सहकारी ढांचा।

विपक्ष की दलील

विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला का कहना है कि यह सरकार का तुगलकी फरमान है। संविधान में सभी को वोट डालने और चुनाव लडऩे का अधिकार है। भाजपा चुनाव से भागने के बहाने तलाश रही है। भाजपा चाह रही कि लोग इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में चले जाएं और चुनाव पर रोक लग जाए। चौटाला के अनुसार उम्मीदवार के डिफाल्टर नहीं होने की शर्त तो समझ में आती है लेकिन शैक्षणिक योग्यता की शर्त समझ से परे है।


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