डेरे की संपत्तियों के हैं कई मालिक, अासान नहीं हैं नुकसान की भरपाई
डेरा सच्चा सौदा से नुकसान की भरपाई करना आसान नहीं होगा। डेरे की संपत्तियां किसी एक के नाम नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट इस बारे में फैसला लेना। डेरा में अनियमिताओं उजागर होना जारी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा से नुकसान की वसूली आसान नहीं है। डेरे की संपत्तियों का मालिकाना हक किसी एक व्यक्ति का नहीं है। ऐसे में इस पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के निर्णय पर सबकी नजर है। उधर, डेरा सच्चा सौदा सिरसा में तीन दिन चले सर्च ऑपरेशन की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। कोर्ट कमिश्नर कंपाइल रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपेंगे। इस रिपोर्ट के साथ सभी दस सेक्टर प्रभारियों की रिपोर्ट भी अटैच होगी। सर्च ऑपरेशन की रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी सौंपी जाएगी।
इसी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट डेरे की तमाम संपत्ति सील करने का निर्णय ले सकता है। डेरे की संपत्तियों का मालिकाना सैकड़ों मालिक होने की वजह से हाईकोर्ट यह भी गाइड लाइन जारी कर सकता है कि प्रदेश भर में हुए नुकसान की भरपाई इन सभी मालिकान से की जाए।
कोर्ट कमिश्नर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में किसी भी समय पेश कर सकते हैं सीलबंद रिपोर्ट
हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन के साथ मिलकर कोर्ट कमिश्नर पंवार रिपोर्ट हाईकोर्ट के साथ-साथ हरियाणा सरकार को भी सौंपेंगे। रिपोर्ट में इन तथ्यों का भी जिक्र रहेगा कि डेरे की कहां और कितनी प्रॉपर्टी है और उसके कितने मालिक हैं।
डेरा सच्चा सौदा का नजारा।
सैकड़ों लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी डेरे के नाम कर दी, लेकिन अब खुद वे तंगहाली की जिंदगी जी रहे हैं। यदि ऐसे लोग अपनी प्रॉपर्टी वापस लेने के लिए सरकार या कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे तो उस पर विचार किया जा सकता है। बशर्ते कि वे डेरे के नाम की गई प्रॉपर्टी के सबूत और दस्तावेज पेश करें।
यह भी पढ़ें: डेरा सच्चा सौदा में बस नाम का ही रहा सर्च आपरेशन, माल तो पहले ही टप गया
सरकार ने चाहा तो दर्ज होगा देशद्रोह का मुकदमा
डेरे में पुरानी करेंसी, सुरंग, एके 47 के खाली बाक्स, ओबी वैन और वाकी टाकी समेत कई ऐसी चीजें मिली हैं। इनके आधार पर यदि सरकार चाहे तो गुरमीत व डेरा प्रबंधन के सदस्यों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो सकता है। सरकार ने अभी तक डेरा प्रमुख को देशद्रोह का अभियुक्त नहीं बनाया है। इसके लिए उसे हनीप्रीत के मिलने का इंतजार है।
सिरसा डेरा सच्चा साैदा का नजारा।
ठीक से खोदाई होती तो निकलते हजारों नरकंकाल
डेरे द्वारा पीडि़त लोगों का आरोप है कि सर्च आपरेशन के दौरान यदि डेरे के भीतर जमीनों की खासतौर से बागों व खेतों की खोदाई कराई जाती तो हजारों नरकंकाल मिल सकते थे। उनका सवाल है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान ऐसा क्यों नहीं किया गया?
------
रिपोर्ट कंपलीट करने पर चल रहा तेजी से काम
'' सर्च आपरेशन पूरा हो चुका है। डेरे को दस सेक्टर में बांटकर आपरेशन चलाया गया। सभी दस सेक्टर इंचार्ज से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी जा रही है। उसके आधार पर एक समग्र्र रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे जल्द हाईकोर्ट में सौंपा जाएगा। कंपलीट रिपोर्ट के साथ सेक्टर प्रभारियों की रिपोर्ट भी अटैच रहेगी।
- अनिल कुमार सिंह पंवार, कोर्ट कमिश्नर।
------
' रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट से मिलेगी नई गाइड लाइन'
'' रिपोर्ट लगभग तैयार है। इसे कोर्ट कमिश्नर हाईकोर्ट में पेश करेंगे। यह रिपोर्ट सरकार को भी जाएगी। मुझे उम्मीद है कि आजकल में किसी भी समय रिपोर्ट सौंपी जा सकती है, जो सीलबंद होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट कई अहम फैसले दे सकता है।
- बलदेव राज महाजन, एडवोकेट जनरल, हरियाणा।
-------
कानूनी दाव पेंच से बचने के लिए बना दिया गांव
डेरा सच्चा सौदा के नए डेरे में बसी कॉलोनियों व यहां बने फ्लैट पर सरकारी दाव पेंच से अड़ंगा न फंसे, इसलिए डीटीपी कार्यालय के कानून से ही डेरे को बाहर कर लिया गया। डेरे की तरफ से ग्राम पंचायत बनाने का एक प्रस्ताव सरकार को दिया गया और सरकार ने डेरे के क्षेत्र को शाह सतनामपुरा गांव मान लिया। इससे एक ही झटके में लटक रही 11 सीएलयू (सर्टिफिकेट ऑफ लैंड यूज)से खुद को बाहर कर लिया।
डेरा सच्चा सौदा में बने सात अजूबे।
दरअसल, कानूनी दाव पेंच से बसने के लिए यहां बैठे लोगों ने शातिराना तरीके से गांव बनाने की फाइल चला दी। क्योंकि गांव के आबाद धेह में डीटीपी का कानून लागू नहीं होता। इसके बाद 31 दिसंबर 2015 को पंचायत चुनाव से ठीक पहले यहां शाह सतनामपुरा पंचायत को मंजूरी दे दी गई। इस पंचायत में सात वार्ड बनाए गए। इस पंचायत में कोई भी क्षेत्र डेरे से बाहर का नहीं था। डेरा को ही पंचायत का हिस्सा माना गया।
यह भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर वायरल, पाकिस्तानी ब्वायफ्रेंड के साथ है हनीप्रीत
कहां गए हथियारबंद लोग
डेरे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि गुरमीत के साथ चलने वाला हथियारबंद लोग गायब हो गए। उसके परिवार के प्रत्येक सदस्य के पास करीबन 50 सुरक्षा कर्मचारी नजर आते थे, पुलिस के पास महज 37 हथियार जमा हुए हैं। वे लोग और उनके हथियार कहां गए, कुछ पता नहीं है। अब पुरानी फुटेज के आधार पर डेरे में रहे हथियारों की जानकारी जुटाई जाएगी।
ग्रीन एस वेलफेयर का दस्ता भी लापता
डेरा प्रमुख की ग्रीन एस वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी लड़कियों का एक दस्ता हमेशा हथियारों के साथ डेरा प्रमुख व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तैनात रहता था। डेरा प्रमुख की सुरक्षा में एक वक्त में 12 से अधिक लड़कियां तैनात रहती थी और सभी के पास हथियार थे। कई कई गाडिय़ां में सुरक्षाकर्मी चलते थे। इनमें से एक गाड़ी महिला सशस्त्रधारी सुरक्षा कर्मियों की भी हाेती थी। अब वे लड़कियां भी नहीं नजर आ रही हैं।
कैदी नंबर पर लग रहा लाखों का सट्टा
गुरमीत को जिस दिन कैदी नंबर 8647 मिला था, उसी दिन से यह चार अंक सट्टे के बाजार में खूब घूम रहे हैं। कोई हजारों रुपये लगा रहा है तो कोई लाखों रुपये लगा रहा है। यहीं नहीं जिस दिन पीजीआइ में मॉक ड्रिल हुई और उन्हें कमरा नंबर 105 दिया गया तो सट्टेबाजों के लिए यह नंबर भी तीन अंक भी लक्की हो गए।
यह भी पढ़ें: डेरा सच्चा सौदा के राज: देहदान के नाम पर लेते थे एफिडेविट, फिर कर देते थे हत्या