हाईकोर्ट ने रामपाल से पूछा, क्या गीता को केवल हिंदू पढ़ते हैं ?
हरियाणा में गीता को प्रमोट किए जाने पर रामपाल द्वारा दायर की गई याचिका पर हाई कोर्ट ने रामपाल से सवाल किया कि क्या गीता को केवल हिंदू पढ़ते हैं ?
जेएनएन, चंडीगढ़। कथित संत रामपाल की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उससे पूछा कि क्या गीता का सार केवल हिंदू धर्म के लिए हैं? इसको केवल हिंदू ही पढ़ते हैं? हाईकोर्ट ने यह सवाल रामपाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान किया। रामपाल ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह एक धर्मविशेष को प्रमोट करने में सरकारी पैसा खर्च कर रही है।
रामपाल के वकील ने कहा कि राज्य सरकार सरकार एक धर्म की पुस्तक गीता को प्रमोट कर रही है, जबकि भारत धर्मनिरपेक्ष है। रामपाल के वकील ने कहा कि उसे कोई आपत्ति नही अगर राज्य सरकार अन्य धर्म की पुस्तक को भी प्रमोट करने के लिए भी फंड जारी करें।
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कोर्ट ने सवाल किया कि हज और अन्य तरह की तीर्थयात्राओं में भी सरकारी पैसे का प्रयोग होता है। उधर, हरियाणा सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कहा कि इससे पहले भी कई बार गीता समारोह हुए हैं। यह धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन मात्र नहीं है। आयोजन सरकार नहीं बल्कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड करा रहा है।
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एडवोकेट जनरल ने कहा कि देश में इस तरह के कई कार्यक्रम होते रहते हैं। गीता जयंती को धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले को बहस के लिए 22 मार्च तक स्थगित कर दी। बता दें कि हिसार के बरवाला में स्थित सतलोक आश्रम में लगभग दो साल पहले हुए बवाल के बाद गिरफ्तार किए गए रामपाल ने कुरुक्षेत्र में हुए गीता जयंती महोत्सव को चुनौती दी थी।
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