हरियाणा में दंगाइयों ने आतंकियों को भी दे दी थी मात
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जितना नुकसान हुआ, इतना तो कभी आतंकी भी नहीं करते। यह खुलासा प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट ने किया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार ने विपक्ष के भारी दबाव के चलते पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह के नेतृत्व वाली जांच कमेटी की रिपोर्ट मंगलवार को सार्वजनिक कर दी है। 417 पेज की इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही जाट आरक्षण आंदोलन में सरकारी सिस्टम के ध्वस्त होने की सच्चाई सामने आ गई। प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में न तो सरकार को बख्शा और न ही अधिकारियों पर रहम किया। कमेटी ने कहा कि दंगों के दौरान पूरे सरकारी सिस्टम को लकवा मार गया था।
प्रकाश कमेटी ने यहां तक कह दिया कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जितना नुकसान हुआ, इतना तो कभी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद भी नहीं करते। प्रकाश कमेटी की यह रिपोर्ट सरकार के कामकाज पर उंगली उठाने के लिए काफी है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भाजपा सांसद राजकुमार सैनी पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए कहा कि उनकी वजह से भी आंदोलन भड़का है।
प्रकाश सिंह के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने फरवरी माह में हुई जातीय ¨हसा, आगजनी और लूटपाट की जांच कर 13 मई को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा था। रिपोर्ट में हर जिले के हालात का सिलसिलेवार ब्योरा देते हुए अधिकारियों की कार्य प्रणाली का खाका खींचा गया है। कमेटी ने 57 पुलिस, 23 प्रशासनिक और 10 फायर अधिकारियों के कामकाज पर अंगुली उठाते हुए उनके विरुद्ध तीखी टिप्पणियां की हैं। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि प्रमुख पदों पर तैनात अधिकारी दो हिस्सों में बंटे हुए थे।
बचते रहे जिम्मेदारी से
प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दंगों के दौरान पूरे सरकारी सिस्टम को लकवा मार गया था। अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वाह नहीं किया। अधिकारी एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी थोपते रहे।
नाकाम डीजीपी
पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंघल पर प्रकाश सिंह कमेटी ने कड़ी टिप्पणियां की हैं। कमेटी ने कहा है कि दंगों के दौरान सिंघल न तो पुलिस फोर्स को प्रोत्साहित कर पाए और न ही फील्ड में गए। कमेटी ने यहां तक टिप्पणी की है कि सिंघल पुलिस फोर्स का नेतृत्व करने में नाकाम साबित हुए हैं।
गृह सचिव पर भी सवाल
कमेटी ने गृह सचिव पीके दास के कामकाज पर तीखी टिप्पणी की है। रिपोर्ट के मुताबिक दास एक भी ऐसा आदेश नहीं दिखा पाए, जो उन्होंने दंगा नियंत्रण के लिए जिलों के डीसी-एसपी के पास भेजा हो। गृह सचिव होने के नाते पीके दास ने अपनी जिम्मेदारी का लेशमात्र भी निर्वाह नहीं किया।
सरकार का सिर्फ एक काम अच्छा
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दंगों के दौरान कुछ आइएएस और आइपीएस अधिकारियों को मुख्यालय से जिलों में भेजकर सरकार ने एकमात्र अच्छा काम किया है। इसके अलावा कोई भी ऐसा काम नहीं रहा, जिसे लेकर संतोष जताया जा सके।
पंगु रहा सिस्टम
कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि दंगों के दौरान हरियाणा पुलिस का जिस ढंग से इस्तेमाल होना चाहिए था, वह नहीं हुआ और ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि पूरा सिस्टम पंगु बना हुआ था। उच्च अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें।
बेकार खड़ी रही सेना
प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सेना का इस्तेमाल नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। कमेटी ने कहा कि राज्य के पास 74 कालम सेना थी, लेकिन सेना बिना किसी आदेश के ज्यों के त्यों खड़ी रही।
जातीय रंग में रहे अफसर
एसडीएम, डीएसपी और एसएचओ स्तर के अधिकारियों ने दंगों के दौरान जमकर जातीयता निभाई। यह अधिकारी जातीयता में इस कदर बंध गए थे कि उन्हें प्रदेश के हितों की अनदेखी करना मंजूर रहा।
रिपोर्ट में खास
-जितना नुकसान दंगाइयों ने किया, लश्कर व जैश जैसे आतंकी संगठनों ने नहीं किया
-दंगों के दौरान लकवा मार गया था सरकारी सिस्टम को
-सांसद राजकुमार सैनी की तल्ख टिप्पणियों ने किया आग में घी का काम
-गृह सचिव पीके दास और डीजीपी यशपाल सिंघल ने नहीं निभाई अपनी जिम्मेदारी
-दंगों के दौरान 30 लोगों की जानें गई, जिनमें 20 दंगाई थे
-1196 दुकानें जलाई गई, 371 वाहन फूंके गए
- 30 स्कूल व कालेज जलाए गए, 75 घरों को आग लगाई
- 53 होटल व रेस्टोरेंट जलाए, 29 पुलिस स्टेशन फूंके गए
- मार्ग अवरुद्ध करने के लिए 7232 पेड़ भी काट डाले
- दंगों में घायल हुए थे 123 लोग, जिनमें 15 आम आदमी और 53 पुलिस जवान। आर्मी के 4 और सेंट्रल पुलिस फोर्स के 11 लोग जख्मी हुए हैं।
-चार लोगों के कत्ल हुए तथा 205 चोरियां भी हुई