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हरियाणा जातीय हिंसा में 90 से 80 हो गए दागी अधिकारी

प्रकाश सिंह ने जब जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, तब दागी अधिकारियों की संख्या 90 बताई थी, लेकिन अब इनकी संख्या 80 प्रचारित की जा रही है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 23 May 2016 10:28 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 10:40 PM (IST)
हरियाणा जातीय हिंसा में 90 से 80 हो गए दागी अधिकारी

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा जातीय हिंसा को लेकर प्रकाश सिंह की जांच रिपोर्ट में दागी अधिकारियों की संख्या को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रकाश सिंह ने जब जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, तब दागी अधिकारियों की संख्या 90 बताई थी, लेकिन अब इनकी संख्या 80 प्रचारित की जा रही है। विवाद इस बात को लेकर है कि प्रकाश सिंह द्वारा बताई गई दागी अधिकारियों की संख्या सही है या फिर सरकार में बैठे अधिकारियों द्वारा प्रचारित की जा रही अधिकारियों की संख्या वाजिब है।

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प्रकाश सिंह खुद इस मामले को समझ नहीं पा रहे हैं। उनका कहना है कि वे चंडीगढ़ पहुंचकर पूरे मामले की पड़ताल करेंगे। प्रकाश सिंह के एक मई को चंडीगढ़ आने की संभावना है। पूर्व डीजीपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में पर्दाफाश किया था कि 90 अधिकारियों की भूमिका जातीय हिंसा में संदिग्ध रही है, लेकिन अब सामने आया है कि 57 पुलिस अधिकारी और 23 सिविल अधिकारी दागी मिले हैं। यह आंकड़ा प्रकाश सिंह द्वारा बताए गए आंकड़े से मेल नहीं खाता है। दागी अधिकारियों में 5 आइएएस और 5 आइपीएस भी शामिल हैं।

28 अधिकारियों का तबादला आदेश जारी

पुलिस महानिदेशक डा. केपी सिंह ने निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों के तबादला आदेश जारी किए हैं। जिन 28 पुलिस अधिकारियों के तबादले हुए हैं, उनमें दंगा प्रभावित जिलों रोहतक, कैथल, झज्जर में तैनात अधिकारी भी शामिल हैं।

मंत्रियों और विपक्ष के निशाने पर प्रकाश सिंह

चंडीगढ़ : उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह भाजपा सरकार के मंत्रियों और विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। दागी अधिकारियों को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव का रहस्योद्घाटन करने पर प्रकाश सिंह की मुश्किलें बढ़ी हैं। प्रकाश सिंह द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपे दस दिन बीत गए, मगर अभी तक सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसलिए सरकार पर भी अब उंगली उठने लगी है। प्रकाश सिंह ने रिपोर्ट तैयार करते समय भले ही कोई दबाव स्वीकार नहीं किए जाने का दावा किया था, लेकिन ताक में बैठे विपक्ष के नेताओं को उनके बयान से खुद प्रकाश सिंह और सरकार के विरुद्ध बड़ा हथियार मिल गया है।


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