चंडी माता मंदिर को माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के अधीन लाने पर विवाद, हाई कोर्ट पहुंचा मामला
लॉकडाउन के दौरान चंडी माता मंदिर के ताले तोड़ उसे माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड अधीन लेने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के नोटिस का जवाब देने के लिए हरियाणा सरकार व माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड ने समय की मांग की। हाई कोर्ट के जस्टिस आरके जैन पर आधारित बेंच ने मामले की सुनवाई 16 जून तक स्थगित कर दी। मामले में हाई कोर्ट पहले ही माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड व डीसी पंचकूला को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर चुका है।
मामले में चंडी माता मंदिर पंचकूला के पुजारी महंत राजेश गिरी ने अर्जी दायर कर कोर्ट को बताया कि लॉकडाउन के दौरान पंचकूला के माता चंडी माता मंदिर को हरियाणा सरकार द्वारा अपने कब्जे में ले लिया गया। मंदिर के महंत ने कहा, लॉकडाउन में जब सब धार्मिक स्थल बंद हैं तो कैसे मंदिर के ताले तोड़ दिए गए। कोर्ट को बताया गया कि 17 मई को डीसी ने एक आदेश जारी कर मंदिर पर कब्जा लेकर उसे मनसा देवी श्राइन बोर्ड की संपति घोषित कर दिया। अर्जी के अनुसार यह मामला अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है और 23 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होनी थी। इस बीच, सरकार ने मंदिर के ताले तोड़ कर मंदिर पर कब्जा ले लिया। अर्जी में सरकार के इस कदम पर रोक की मांग की गई है।
इससे पहले पुजारी ने हाई कोर्ट में याचिका की दायर
हरियाणा सरकार की उस अधिसूचना को रद करने की मांग की हुई है जिसके तहत मंदिर को माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के अधीन करने का प्रावधान किया गया है। याचिका में बताया गया कि यह मंदिर उनके पूर्वजों की संपत्ति है। राजस्व रिकार्ड में भी यह मंदिर व उसकी जमीन उसके गुरू व उसके पूर्वजों की है, लेकिन कुछ राजनेता अपने निजी स्वार्थ के चलते इस मंदिर पर कब्जा करने चाहते हैंं। इसको लेकर पहले ही एक मामला जिला अदालत में विचाराधीन है।
याचिका में कहा गया कि श्राइन बोर्ड के तहत इस मंदिर को करना मंदिर की पवित्रता व भक्तों के साथ खिलवाड़ करना है। याची ने हाई कोर्ट से मांग की है कि वो हरियाणा सरकार की 4 जनवरी 2018 को जारी उस अधिसूचना को रद करे जिसके तहत मंदिर को माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड के तहत करने का निर्णय लिया गया है। ज्ञात रहे कि इससे पहले भी पंचकूला जिले के कई मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अधीन करने के मामले अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।