मंत्रालय पहुंचेगा स्मार्ट सिटी की दावेदारी का विवाद
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा में स्मार्ट सिटी की चयन प्रक्रिया विवादों में फंस गई है। केंद्रीय
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा में स्मार्ट सिटी की चयन प्रक्रिया विवादों में फंस गई है। केंद्रीय योजना एवं रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार ने भले ही स्मार्ट सिटी के लिए गुड़गाव का नाम केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भेज दिया है, लेकिन इस पर विचार होने की संभावना इसलिए नहीं है, क्योंकि गुड़गाव का नाम प्रस्ताव के रूप में भेजा गया है। स्मार्ट सिटी के लिए वैधानिक ढंग से गुड़गाव के नाम का चयन नहीं हुआ। संभव है कि राव इंद्रजीत स्मार्ट सिटी के लिए गुड़गांव की सीधी दावेदारी पेश कर दें। इसके लिए वह जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन को आधार बनाएंगे। मिशन के तहत होने वाले कामों के लिए 20 नंबर निर्धारित थे। मिशन की सूची में गुड़गांव और करनाल शहरों के नाम शामिल नहीं हैं जबकि चयन के समय करनाल को इसके दायरे में रखा गया है। इसी सूची को आधार बनाने के साथ ही राव राजस्व व साइबर सिटी का हवाला देते हुए गुड़गाव के लिए मंत्रालय में दावेदारी पेश कर सकते हैं। स्मार्ट सिटी के लिए हरियाणा से करनाल और फरीदाबाद के नाम भेजे गए हैं। सरकार ने गुड़गाव, हिसार और रोहतक को संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रखा। चार दिन पहले राव इंद्रजीत ने गुड़गाव का नाम नहीं भेजे जाने पर आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने गुड़गाव के नाम का प्रस्ताव मंत्रालय को भेज दिया, लेकिन स्मार्ट सिटी के लिए करनाल और फरीदाबाद के नाम भेजने की जो प्रक्रिया अपनाई गई है, वह गुड़गाव के मामले में अमल में नहीं लाई गई। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के पास पंचकूला और अंबाला समेत अन्य शहरों से भी आपत्तिया आई हैं, लेकिन उन पर कोई खास गौर नहीं किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़ जाने के बाद अब आयुक्तों, निकाय अध्यक्षों और विधायकों-सासदों के बीच राजनीति शुरू हो गई है। गुड़गाव चूंकि साइबर सिटी और राजस्व देने के मामले में अव्वल होने के साथ ही राव इंद्रजीत का शहर है, इसलिए शहरी निकाय विभाग ने किसी विवाद से बचने के लिए गुड़गाव का नाम अलग प्रस्ताव बनाकर मंत्रालय भिजवा दिया है। विशेष प्रस्तावों पर ही मंत्रालय को विचार करना होगा तो ऐसे प्रस्ताव देशभर से आने पर मंत्रालय के सामने बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।