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सेना से कमतर आंकने पर अ‌र्द्धसैनिक बलों के पूर्व सैनिकों में रोष

जागरण संवाददाता, नारनौल : खराब खाने को लेकर चर्चा में आए सिपाही तेज बहादुर को बर्खास्त करने के विरोध

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 06:24 PM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 06:24 PM (IST)
सेना से कमतर आंकने पर अ‌र्द्धसैनिक बलों के पूर्व सैनिकों में रोष
सेना से कमतर आंकने पर अ‌र्द्धसैनिक बलों के पूर्व सैनिकों में रोष

जागरण संवाददाता, नारनौल : खराब खाने को लेकर चर्चा में आए सिपाही तेज बहादुर को बर्खास्त करने के विरोध में पैरामिलिट्री फोर्स से रिटायर्ड कर्मचारी एवं अधिकारी भी उतर आए हैं। मंगलवार को नारनौल के जैन मांगलिक भवन में एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के सैकड़ों रिटायर्ड सैनिकों ने भाग लिया। बैठक में नक्सली हमले में मारे गए अ‌र्द्धसैनिक बल के 26 जवानों को दो मिनट का मौन धारण करके श्रद्धांजलि भी दी गई।

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इस मौके पर फैडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर ¨सह ने कहा कि सिपाही तेज बहादुर को सूखी रोटी व दाल की शिकायत करने पर नौकरी से बर्खास्त करने की हम सामूहिक ¨नदा करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सेना एवं अ‌र्द्धसैनिक बलों में भेदभाव कर रही है। सेना के जवान की शहादत पर शहीद का दर्जा दिया जाता है, लेकिन अ‌र्द्धसैनिक बल के जवान की शहादत को यह सम्मान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि बार्डर पर हम सबसे आगे रहते हैं और देश के लिए शहादत भी हम सबसे पहले देते हैं। उन्होंने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस बार 26 जनवरी की परेड में अ‌र्द्धसैनिक बलों को भाग नहीं लेने दिया गया। उन्होंने कहा कि दुर्गम चोटियों पर ड्यूटी के जवानों को 21 से 31 हजार रुपये स्पेशल पे के तौर पर दिए जाते हैं, लेकिन इसी ड्यूटी के अ‌र्द्धसैनिक बल जवान को कुछ नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि सातवें वेतन आयोग के अनुसार चपरासी की तनख्वाह को अ‌र्द्धसैनिक बल के जवान के बराबर कर दी है। इसलिए सरकार से अनुरोध है कि अ‌र्द्धसैनिक बलों को सिविल सर्विस घोषित कर दिया जाए। सरकार ने वर्ष 2004 के बाद हमारी पेंशन भी बंद कर दी थी। जबकि देश की संसद पर जब हमला हुआ तो हमारे जवानों ने शहादत देकर देश को बचाया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने सीएसडी कैंटीन में भी भेदभाव किया हुआ है। सेना के जवानों को पूरी छूट पर सामान दिया जाता है, जबकि अ‌र्द्धसैनिक बल सीपीसी कैंटीन में यही सामान बाजार की दरों पर मिलता है। जबकि यह सेल एवं वेट फ्री सामान होना चाहिए। सरकार ने सीजीएचएस डिस्पेंसरी भी महेंद्रगढ़ जिले में नहीं खोली हुई है, जहां पर बीमार सैनिक अपना इलाज करा सकें। उन्होंने सरकार सैनिक स्कूलों की भांति अ‌र्द्धसैनिक बलों के बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल खोलने चाहिए।

रणबीर ¨सह ने कहा कि 28 फरवरी को सीआरपीएफ के महानिदेशक सेवानिवृत हुए थे। उस दिन के बाद से सरकार को देश में कोई डीजी ही नहीं मिला है। इस समय सीआरपीएफ हैडलेस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि भेदभाव बहुत हो चुका है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके खिलाफ एक मई को रेवाड़ी के राव तुलाराम पार्क में पूर्व अ‌र्द्धसैनिक बलों की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें आंदोलन की भावी रणनीति तय की जाएगी। इस मौके पर मेजर सूरत ¨सह पालड़ी, सूबेदार मेजर सुल्तान ¨सह, घासीराम, कमांडेंट झाबर ¨सह, रामेश्वर दयाल, सहायक कमांडेंट घासीराम, डिप्टी कमांडेंट सुभाष चंद, डिप्टी सहायक कमांडेंट कंवर ¨सह, सहायक कमांडेंट अमर ¨सह, सहायक कमांडेंट भानी सहाय एवं पूर्व सरपंच कैलाश पालड़ी आदि मौजूद थे।


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