डीएनए से हीं संभव हो सके मनुष्य से जुड़े शोध
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में मंगलवार को डीएनए-डे मनाया गया। इस अवसर
संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में मंगलवार को डीएनए-डे मनाया गया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर वीएस परमार ने डीएनए से जुड़े विभिन्न पहलुओं से विद्यार्थियों व शिक्षकों को अवगत करवाया। विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में शांति स्वरूप भटनागर अवार्ड विजेता प्रो. शान्तनु चौधरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. राजेश मिश्र, प्रो. पवन के धर एवं प्रो. शैलजा ¨सह ने भी डीएनए से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कश्यप कुमार दूबे ने बताया कि 25 अप्रैल 1953 को 'नेचर' शोध पत्रिका में जेम्स वॉटसन एवं फ्रांसिस क्रिक का एक शोध प्रकाशित हुआ, जिसमें डीएनए की संरचना पेश की गई। इस दिन से ही 25 अप्रैल का दिन डीएनए-डे के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस शोध पत्र के बाद से मनुष्य व प्रकृति से जुड़े विभिन्न शोध संभव हो सके।
इस कार्यशाला में जेएनयू की प्रो. शैलेजा ¨सह ने प्रोटींस द्वारा मलेरिया के इलाज के क्षेत्र में जारी अपने काम पर भी प्रकाश डाला जबकि प्रो. राजेश मिश्र ने विद्यार्थियों को रोग प्रतिरोधक प्रोटीन्स की जानकारी दी। कार्यशाला में स्वागत भाषण शैक्षणिक मामलों के संकाय अध्यक्ष प्रो. एजे वर्मा ने दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में विज्ञान व सामाजिक विज्ञान संकाय की ओर से विभिन्न दिवसों के अवसर पर विशेषज्ञों के व्याख्यान करवाए जाते हैं जिसका लाभ सीधे तौर पर विद्यार्थियों व शिक्षकों को मिलता है।
कार्यशाला में मंच संचालन डॉ. पूजा यादव ने किया और इस अवसर पर विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ. ऋषि गुप्ता, डॉ. अविजीत, डॉ. अश्वनी और डॉ. तेजपाल आदि भी उपस्थित रहे।