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मक्खियों ने जीना किया मुहाल

सुरेंद्र यादव, नारनौल : गर्मियां शुरू होते ही क्षेत्र में मक्खियों (हाउस फ्लाइ) का आतंक शुरू हो ग

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 07:29 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 07:29 PM (IST)
मक्खियों ने जीना किया मुहाल
मक्खियों ने जीना किया मुहाल

सुरेंद्र यादव, नारनौल : गर्मियां शुरू होते ही क्षेत्र में मक्खियों (हाउस फ्लाइ) का आतंक शुरू हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल बढ़ती जा रही पोल्ट्री फा‌र्म्स की संख्या के चलते स्थिति और विकट होती जा रही है। इनसे निकलने वाली गंदगी पर मक्खियां पल रही हैं और अब अनुकूल मौसम मिलते ही इनकी संख्या गुणा में बढ़ रही है। कई गांवों में तो स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि आंगन में बैठकर खाना भी संभव नहीं रहा। मक्खियों के प्रकोप से दुधारू पशुओं का दूध सूख गया है, वहीं महामारी फैलने की आशंका बन गई है।

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गत वर्ष करनाल का गांव रसूलपुर मक्खियों के प्रकोप के चलते चर्चाओं में रहा था। अब करीब-करीब वैसा ही हाल क्षेत्र के कई गांवों का हो चुका है। मक्खियों की संख्या में हुई इस बढ़ोतरी ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। अत्यधिक मक्खियों की भिनभिनाहट के चलते लोगों का अपने ही घरों में रहना मुश्किल बना हुआ है। घरों में पशुओं के अपशिष्ट व गंदगी के साथ ही पानी से गीली हुई वस्तुओं पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। यह मक्खियां खाद्य पदार्थों पर बैठकर उन्हें दूषित करती हैं। खाने पर मंडराते रहने के साथ ही मक्खियां खाने में गिरकर उसे खराब कर देती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दूध, लस्सी इत्यादि के बर्तन थोड़ी देर भी बिना ढके रह जाएं, तो उनमें दर्जनों मक्खियां गिर जाती हैं। क्षेत्र में मक्खियों की इस बढ़ोतरी का कारण जानकार क्षेत्र में पोल्ट्री फा‌र्म्स को बता रहे हैं। पोल्ट्री फा‌र्म्स से निकलने वाली गंदगी को संचालक खुले में डाल देते हैं। इससे उठने वाली बदबू और पोल्ट्री संचालकों द्वारा कीटनाशकों का छिड़काव नहीं करने के चलते आस-पास के इलाकों में मक्खियों की संख्या में तीव्र गति से बढ़ोतरी हो रही है। अधिकतर पोल्ट्री फा‌र्म्स आबादी क्षेत्र से बाहर लेकिन गांवों के नजदीक ही बनाए गए हैं। इन फा‌र्म्स के आसपास ट्यूबवेल पर रहने वालों को सर्वाधिक परेशानी होती है।

दुधारू पशुओं का सूखा दूध : मक्खियां सारा दिन पशुओं के इर्द-गिर्द मंडराती और उन्हें काटती रहती हैं। पशुओं की गंदगी उनके फलने-फूलने के लिए पर्याप्त होती है। गंदगी से उठकर वे पशुओं के शरीर पर बैठती हैं। उनसे परेशान पशुओं का दूध भी कम हो रहा है। पशुपालक भारत ¨सह व मनु के अनुसार उनकी भैंस पहले 12 किलो दूध दे रही थी, लेकिन गत एक पखवाड़े के दौरान दूध घटकर एक तिहाई रह गया है। इस बारे में डॉक्टर से बात की तो उन्होंने पशु बाड़े पर मच्छरदानी लगाकर मक्खियों से बचाव करने की सलाह दी है। लेकिन खुली जगह में मच्छरदानी लगा पाना उनके लिए संभव नहीं है। साथ ही यह काफी खर्चीला भी है।


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