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35वें दिन भी जारी रहा धरना

संवाद सहयोगी, कनीना : कनीनावासियों का अपनी मांगों के समर्थन में धरना 35 वें दिन में प्रवेश कर गया

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 06:34 PM (IST)
35वें दिन भी जारी रहा धरना
35वें दिन भी जारी रहा धरना

संवाद सहयोगी, कनीना : कनीनावासियों का अपनी मांगों के समर्थन में धरना 35 वें दिन में प्रवेश कर गया है। वे अपनी मांगों के समर्थन में धरना, जुलूस एवं क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। डिप्टी स्पीकर से भी मिल चुके हैं, ¨कतु समस्या का हल नहीं हो पाया है। 21 फरवरी से धरना व 28 फरवरी से क्रमिक अनशन चल रहा है।

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कनीनावासियों का एकसूत्री य मांग 'सचिवालय सहित समस्त घोषित कार्यालय कनीना पालिका क्षेत्र में ही बनाए जाए' को लेकर 21 फरवरी से धरने पर बैठे हैं। 28 फरवरी से क्रमिक अनशन भी जारी है, जिसमें अलग अलग वार्डों के लोग शामिल होते हैं। सोमवार को 12 महिला एवं पुरुष क्रमिक अनशन पर रहे, जिनमें राव मोहर ¨सह आर्य, मनफूल आर्य, रामानंद आर्य, रामपत आर्य, रामकुमार आर्य, गोवर्धन आर्य, बिमला देवी, कमला देवी, बिमला, रेवती, बबली, मुन्नी बुआ आदि प्रमुख हैं।

सचिवालय निर्माण को लेकर करीब एक वर्ष से कशमकश चल रही है। कनीना वासियों ने विभिन्न जमीनों के प्रस्ताव भिजवाए, ¨कतु कोई जमीन सरकार द्वारा सही नहीं बताई गई। कनीनावासियों के सामने धरने की हालात उस वक्त बने जब कनीना के लिए घोषित महिला कालेज को पहले कनीना कालेज में तत्पश्चात कनीना मंडी में स्थित स्कूल भवन में बनाने की चर्चाएं चली और उद्घाटन उन्हाणी में कर दिया गया। तभी से लेकर यह धरना जारी है।

जब कनीना से बाहर सचिवालय निर्माण की सुगबुगाहट चली तो कनीनावासियों ने विभिन्न गांवों की पंचायतों से प्रस्ताव पारित करवाकर सरकार के पास भिजवाया, जिसमें करीब 50 गांवों की पंचायतों ने भी कनीना में ही सचिवालय निर्माण को उचित बताया। आज कुछ गांवों की पंचायतें बेशक सचिवालय को कनीना की बजाय समीपी गांव में बनाने की मांग कर रही हैं, ¨कतु धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि जब एक बार वे प्रस्ताव कनीना के पक्ष में दे चुके हैं तो बार बार प्रस्ताव बदलने के पीछे मंशा क्या है?

कनीनावासियों का धरना एवं क्रमिक अनशन अनवरत जारी है। इससे पूर्व कनीनावासियों ने ज्ञापन, शिष्टमंडल का अधिकारियों से मिलना,, कनीना बंद करने, जुलूस निकालने आदि कार्य किए हैं। धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो भविष्य में आमरण अनशन, जंतर मंतर पर धरने जैसे कठोर कदम भी उठाए जा सकते हैं।


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