दिल के मरीज रखें विशेष ध्यान
जागरण संवाददाता, नारनौल : हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई व पौधरोपण अभियान सुस्ती के चलते शहर व गांवों
जागरण संवाददाता, नारनौल : हरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई व पौधरोपण अभियान सुस्ती के चलते शहर व गांवों में पर्यावरण दिन-प्रतिदिन प्रदूषित होता जा रहा है। साथ ही दीपावली आते ही प्रदूषण बढ़ना शुरू हो जाता है।
दीपावली पर पटाखों के जलने से निकलने वाली कार्बन मोनो आक्साइड व कार्बनडाइआक्साइड जैसी जहरीली गैस पर्यावरण, मनुष्य व सभी जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक होती है। साथ ही श्वास व दिल के मरीजों को भी इन दिनों भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पटाखे फटने के बाद निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड, फाइलटॉक्सीक डस्ट, धुआं में सल्फरकॉल हैवी मेटल्स, सल्फरडाइ ऑक्साइड नाट्रिक ऑक्साइड, ओजोन गैस आदि जहरीली गैसें निकलती हैं, जो हवा के साथ मिलकर सांस के द्वारा मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाती है। यह अस्थमा व दिल की बीमारी के मरीजों के लिए काफी घातक साबित होती है। सल्फर डाई आक्सइड जहरीली गैस पर्यावरण में घुल जाती है और जब बारिश होने पर यह गैस पानी में घुलकर एसिड बनाती है जो धरती पर गिरती है। इससे पानी व सब्जी जहरीली हो जाती है। साथ ही पुरानी इमारतों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है।
विदित रहे कि इस गैस की अधिकता के कारण ताजमहल जैसी इमारत भी पीली पड़ने लगी है। घरों पर जब बारिश का एसिड युक्त पानी पड़ता है तो उनको भी यह कमजोर बना देता है।
चमड़ी रोग बढ़ने की संभवना : पटाखों से निकलने वाला धुआं दिल व दमा के मरीजों के लिए तो खतरनाक होता ही है। इसके साथ-साथ केमिकल हैवी मेटल्स एल्यूमीनियम से चमड़ी रोग भी हो जाते हैं। वहीं पटाखों में बहुतायत रंग निकलवाने के लिए डाली जाने वाले आर्थनिक रंग वायु में फैलकर चमड़ी गांठ बनाते हैं, जिसका केवल ऑपरेशन से ही उपचार संभव है।
तेज धमाके दिल के मरीज के लिए घातक : चिकित्सकों की मानें तो वायु प्रदूषण के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी दिल के मरीजों के लिए अधिक प्रभावशाली होता है। दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण 140 डेसीबल से ऊपर पहुंच जाता है, जिससे दिल के मरीज को हृदयघात होने का अधिक खतरा होता है। इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। साथ ही आम आदमी में बहरापन का खतरा बढ़ जाता है।
वर्जन..
दीपावली खुशियों का पर्व है हमें सभी की खुशियों को ध्यान में रखते हुए इस पर्व को भाईचारे व मिठाइयों का त्योहार मनाना चाहिए। पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैसें दमा, अस्थमा, श्वास के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक होती हैं। इससे इस तरह के मरीजों को काफी दिक्कते होती हैं। ऊंची आवाज के पटाखों से दिल के मरीजों को हृदयघात हो सकता है। इससे उनकी मौत भी हो सकती है। हमें दीपावली पर कम प्रदूषण व कम ध्वनि वाले पटाखों का इस्तेमाल करना चाहिए।
-डॉ. अमित ¨सघानियां, दिल, श्वास व जटिल रोग विशेषज्ञ, नागरिक अस्पताल नारनौल।