बिजाई से पहले बीजोपचार अहम
जागरण संवाददाता, महेंद्रगढ़ : किसानों के लिए चना, सरसों एवं गेहूं की बिजाई के लिए यह उचित समय है। कि
जागरण संवाददाता, महेंद्रगढ़ : किसानों के लिए चना, सरसों एवं गेहूं की बिजाई के लिए यह उचित समय है। किसान फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए बीज उपचार जरूर अपनाएं। बिजाई से पहले खेत में पर्याप्त नमी के लिए हल्की ¨सचाई भी कर लें।
क्षेत्र में इन दिनों किसानों द्वारा रबी फसल की बिजाई की जा रही है, लेकिन उनके सामने अधिक तापमान की समस्या बनी है। साथ ही तेज हवाएं भी नमी सुखा रही हैं। इसी कारण किसानों की ¨चता बढ़ी हुई। इलाके में ¨सचाई के पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण सभी किसान अपने खेतों में ¨सचाई करने में असमर्थ हैं। जबकि किसानों के लिए रबी फसल ही आमदनी का प्रमुख स्रोत मानी जाती है।
रबी फसल के तहत आजकल चना, सरसों एवं गेहूं की बिजाई की जा रही है। चना फसल की बिजाई में इस समय कुछ देर जरूर हो गई है। मगर किसान चना की पछेती फसल के लिए इसी माह के अंत व नवंबर के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं। इस संदर्भ में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. जयलाल यादव ने बताया कि चना को बरसाती फसल माना जाता है, और किसान हरियाणा किस्म नंबर वन की बिजाई कर सकते हैं। नवंबर के पहले सप्ताह तक चना की बिजाई की जा सकती है। सरसों की फसल के लिए 10 अक्टूबर तथा गेहूं की बिजाई 25 नवंबर तक की जा सकती है।
डा. यादव ने बताया कि चना की बिजाई करते समय दीमक की रोकथाम जरूरी है। इसके लिए किसानों को 100 किलोग्राम चना के बीज में उपचारित करने के लिए 1500 मिलीलीटर क्लोरपायरीफ्रोस 20 ईसी और 500 एमएल पानी के घोल में मिलाकर बिजाई करने से 8-10 घंटा पहले बीज उपचार करना है, ताकि बीज दवा शोषित हो सके। ऐसा करने से लंबे समय तक दीमक की रोकथाम हो सकेगी। जड़गलन की रोकथाम के लिए 2 ग्राम बेवस्टीन प्रति किलोग्राम के हिसाब से दीमक के लिए बीज उपचार के बाद यह दवा बिजाई के समय लगाकर उपचारित करें।
सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिए बिजाई गहरी करने की बजाए नियमित अंतराल में करना बेहतर होगा। इसके लिए बिजाई से पहले बीज उपचार जरूरी है।
डा. यादव ने बताया कि सरसों की बिजाई 25 अक्टूबर तक की जा सकती है। इसके बाद पछेती सरसों के लिए किसान 15 नवंबर तक आरएस-30 की बिजाई कर सकते हैं। वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. जयलाल यादव ने बताया कि सरसों में धौलिया रोग यानी चितकबरा कीड़ा रोग लग जाता है। यह छोटी सरसों में ही लग जाता है और यह कीड़ा सरसों का रस चूस लेता है और इससे सरसों के पत्ते सफेद होकर सूख जाते हैं। किसान इसे धोलिया रोग कहते हैं। इसके लिए मैलाथियान कीट नाशक एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर हल्का स्प्रे कर दें। एक एकड़ के लिए किसान 150 एमएल दवाई 150 लीटर पानी में मिला लें और उसका पूरे एकड़ में छिड़काव कर दें।
गेंहू की बिजाई के लिए किसानों को पहले दीमक की रोकथाम करनी होगी। इसके लिए 50 किलोग्राम बीज के लिए 75 मिलीलीटर क्लोयरीफोस डीसीसी तथा 2.5 लीटर पानी के घोल में बीज उपचारित कर लें। यह क्रिया बिजाई से 8-10 घंटा पहले ही करनी है। इससे दीमक से बचाव तो होगा ही साथ ही अंकुरण क्षमता भी बढ़ेगी। डा. यादव ने बताया कि बीमारी रोकथाम के लिए इसी उपचारित बीज को 2 ग्राम बेवस्टीन प्रति किलोग्राम मिला लें। इससे बिजाई के बाद रोग नहीं लगेगा।