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अभिभावकों ने की शिक्षा नीति में बदलाव की मांग

संवाद सहयोगी, सतनाली : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं व बारहवीं की परीक्षाओं के परिणाम खराब

By Edited By: Published: Sat, 09 May 2015 05:59 PM (IST)Updated: Sat, 09 May 2015 05:59 PM (IST)
अभिभावकों ने की शिक्षा नीति में बदलाव की मांग

संवाद सहयोगी, सतनाली : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं व बारहवीं की परीक्षाओं के परिणाम खराब आने का ठीकरा क्षेत्र के शिक्षाविदों ने राइट-टू-एजुकेशन एक्ट के तहत 8वीं कक्षा तक के बच्चों को फेल न किए जाने व 5वीं व 8वीं के बोर्ड खत्म करने के नियमों पर फोड़ा है। वहीं अभिभावकों ने शिक्षा नीति में बदलाव की मांग की है।

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बुधवार देर सांय जारी हुए परीक्षा परिणामों में प्रदेश के दसवीं कक्षा के परिणाम 41.28 प्रतिशत व बारहवीं के परिणाम 53.96 प्रतिशत पर आकर सिमट गए। इन खराब परिणामों के चलते दसवीं कक्षा के आधे से अधिक बच्चे फेल हो गए। वहीं करीब-करीब बारहवीं में भी फेल बच्चों की संख्या आधे के करीब रही जबकि इससे पहले के परिणाम कहीं बेहतर हुआ करते थे।

इस बारे में शिक्षाविदों ने कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने 5वीं व 8वीं कक्षाओं की बोर्ड की परीक्षाएं समाप्त कर दी तथा राइट-टू-एजुकेशन के तहत 8वीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं किए जाने का नियम बनाया। इसका परिणाम यह हुआ कि बच्चों में फेल होने का भय खत्म हो गया। बच्चों को यह भली प्रकार से आभास हो गया कि अब उन्हे फेल करने वाला कोई भी नहीं है तथा वे बगैर पढ़े ही अगली कक्षा में प्रवेश पा जाएंगे। वहीं सरकारी स्कूलों में विभिन्न विषयों के हजारो अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं जिसके चलते विषय विशेष का अध्यापक न होने पर छात्र उसके विषय में फेल हो जाते है तथा पूरे विद्यालय का परिणाम प्रभावित हो जाता है।

अभिभावकों ने खराब परिणामों को शिक्षा नीति से जोड़ते हुए शिक्षा नीति में बदलाव की बात कही है। अभिभावक सोमवीर ¨सह, विजय कुमार, सन्दीप, अशोक कुमार आदि का कहना है कि यदि बच्चे कमजोर हैं तो अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर उन्हे पास होने योग्य बनाया जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जहां अभिभावक जागरूक नहीं हैं तथा अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते।

अभिभावकों ने यह भी कहा कि अध्यापकों को पढ़ाने की बजाय मिड-डे-मील व अन्य प्रशासनिक कार्यों में लगा दिया जाता है, जिसके चलते अध्यापक भी बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान न देकर अन्य कार्यो में रूचि लेने लगते हैं। गौरतलब है कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड पिछले काफी वर्षो से मोडरेशन करके विभिन्न विषयों में छात्रों को ग्रेस मार्क देकर अपना बेहतर परिणाम दिखाता रहा है, परन्तु इस वर्ष शिक्षा विभाग को सरकार की तरफ से मोडरेशन की इजाजत नहीं मिली, जिसके चलते परिणाम इतने कम रहे।


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