फार्मासिस्टों के सर्टिफिकेट नवीनीकरण में भारी गोलमाल
बृजेश द्विवेदी, कुरुक्षेत्र : हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में फार्मासिस्टों के सर्टिफिकेट नवीनी
बृजेश द्विवेदी, कुरुक्षेत्र : हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में फार्मासिस्टों के सर्टिफिकेट नवीनीकरण के नाम पर बड़ा खेल किया जा रहा है। बिना प्रशिक्षण शिविर में भाग लिए ही फार्मासिस्टों को सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। इन सर्टिफिकेट पर चेयरमैन से लेकर कार्यकारी सदस्य तक के हस्ताक्षर हैं, जबकि फार्मासिस्ट का नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर उस पर अंकित नहीं है। इसी तरह जारी कई और सर्टिफिकेट में फार्मासिस्ट का नाम उसे जारी रजिस्ट्रेशन नंबर से मेल नहीं खाता। कुछ सर्टिफिकेट पर क¨टग हैं और उन्हें जारी कर दिए गया है। यदि इस पूरे मामले की जांच हो तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
एक आरटीआइ कार्यकर्ता द्वारा जुटाए गए सुबूत व उसके द्वारा सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने जो जवाब दिया है वह बताने के लिए काफी है कि काउंसिल में सर्टिफिकेट नवीनीकरण के नाम पर बहुत बड़ा खेल चल रहा है। फार्मासिस्टों को हर पांच वर्ष पर अपना सर्टिफिकेट नवीनीकरण कराना पड़ता है। इस के लिए उसे काउंसिल द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में शामिल होना अनिवार्य होता है। नवीनीकरण के लिए 100 रुपये फीस निर्धारित है। आरटीआइ कार्यकर्ता विक्रम ¨सह राणा की मानें तो बिना प्रशिक्षण लिए ही 500 रुपये में काउंसिल से सर्टिफिकेट नवीनीकरण कराया जा सकता है। ऐसा ही एक सर्टिफिकेट उनके पास है जिस पर चेयरमैन व कार्यकारी सदस्य तक के हस्ताक्षर हैं, लेकिन इस सर्टिफिकेट पर न तो फार्मासिस्ट के नाम अंकित हैं और न ही उसका रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित हैं। यदि नियम की बात करें तो सर्टिफिकेट पर पहले फार्मासिस्ट का नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित होना चाहिए तथा उसका मिलान करने के बाद ही चेयरमैन के हस्ताक्षर होने चाहिए। यदि ऐसे में कोई दुरुपयोग कर किसी दूसरे का नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित कर दे तो किसकी जिम्मेदारी होगी। विक्रम ¨सह राणा ने बताया कि उन्होंने आरटीआइ के तहत 11 अगस्त 2015 को हरियाणा फार्मेसी काउंसिल को पत्र लिख कर जवाब मांगा था कि अब कितने फार्मासिस्टों के रजिस्ट्रेशन हुए हैं उनका विवरण उन्हें उपलब्ध कराया जाए। इस पर काउंसिल ने 8 सितंबर 2015 को जारी पत्र संख्या एचएसपीसी-आरटीआइ-50-2015/9185 में जवाब दिया कि मांगी गई जानकारी का पूरा विवरण साढ़े सात सौ पेज में आएगा, इसलिए पर पेज दो रुपये के हिसाब से 1500 रुपये जमा कराएं। इसके बाद उन्होंने फिर पत्र लिखा के उन्हें एक से 10 तक रजिस्ट्रेशन का ही विवरण दिया जाए। इस पर काउंसिल ने फिर जवाब दिया कि इस संबंध में कोई रिकार्ड मेंटेन नहीं किया गया है। काउंसिल के यह दोनों जवाब ही उस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। यदि इस मामले की सही तरीके से जांच की जाए तो काउंसिल में सर्टिफिकेट नवीनीकरण के चल रहा बड़ा उजागर हो सकता है। जारी सर्टिफिकेट पर नाम गलत करने का मतलब भी इसी ओर इशारा कर रहा है।
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पहले हस्ताक्षर करना गलत नहीं : गोयल
जब इस बारे में हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन केसी गोयल से फोन पर बात की गई तो उन्होंने माना कि बड़ी संख्या में जब सर्टिफिकेट जारी करने होते हैं तो वे पहले ही हस्ताक्षर कर देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जहां प्रशिक्षण शिविर लगाया जाता है जरूरी नहीं कि वे वहां उपलब्ध हों। ऐसा करने में कुछ भी गलत नहीं है। फिर उन्होंने बात संभालते हुए कहा कि कोई रह गया होगा, जिस पर उनका ध्यान नहीं गया। फार्मासिस्टों के रिकार्ड के बारे में उन्होंने कहा कि 2 जून 2014 को उन्होंने चेयरमैन की कुर्सी संभाली थी तब से लेकर अक तक तो रिकार्ड उनके पास है, लेकिन उनसे पहले का रिकार्ड मेंटेन नहीं किया गया है।