बेखौफ दौड़ रहीं खस्ताहाल स्कूल बसें
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : प्रदेश सरकार ने भले ही स्कूल बसों के लिए सुरक्षित स्कूल वाहन
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
प्रदेश सरकार ने भले ही स्कूल बसों के लिए सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी बनाई हो, मगर ग्रामीण क्षेत्रों में इन नियमों की सरेआम धज्जियां उठाई जा रही हैं। स्कूल संचालकों ने कई बड़ी घटनाओं से भी सबक नहीं लिया। क्षमता से अधिक बच्चों को बसों में ठूंस कर ले जाया जाता है। इसका परिणाम हादसे के समय बड़ा नुकसान होना है, जबकि बच्चों की जान पर बन आती है।
शहर के नामी स्कूलों की बात करें तो अधिकतर की बसें सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत चल रही हैं। स्कूल बसों में नियमों के अनुसार सीसीटीवी कैमरे, जीपीआरए, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स सहित अन्य नियमों की पालना की जा रही है, मगर बसों में बच्चों की संख्या नियमानुसार नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में जाने वाली अधिकतर बसों में क्षमता से करीब दोगुणा बच्चों को सवार किया जा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में स्कूल बसें खस्ताहाल हैं। पुरानी बसों व सस्ती टैक्सियों से बच्चों को ले जाया जा रहा है। ये सुरक्षित यातायात नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहे हैं।
वर्ष 2012 में हुआ था बड़ा हादसा
दो जनवरी 2012 को साहा रोड पर एक निजी स्कूल की स्कूल वैन की ट्रक से टक्कर में 17 बच्चों की मौत हो गई थी। इस दुखद हादसे में कई बच्चे घायल भी हो गए थे। स्कूल प्रशासन की ओर से स्कूल बस के नाम पर सवारी वाहन का इस्तेमाल किया जा रहा था। हादसा उस समय हुआ था, जब ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को साहा स्थित स्कूल में ले जाया जा रहा था। वैन में क्षमता से अधिक बच्चे भरे हुए थे। इस घटना के बाद उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार प्रदेश सरकार ने सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी बनाई थी, जिसके तहत स्कूल बसों के लिए नियम तय किए गए थे।
पिहोवा रोड पर हुई थी बच्चे की मौत
पिहोवा-कुरुक्षेत्र रोड पर चुनिया फार्म के पास 19 दिसंबर 2015 को स्कूल वैन और रोडवेज बस की टक्कर में एक छह वर्षीय छात्रा रमनदीप कौर की मौत हो गई थी, जबकि चार विद्यार्थी और स्कूल वैन चालक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के दौरान जिस वाहन को स्कूल वैन के रूप में प्रयोग किया था, वह नियमों के विरुद्ध था। वहीं वैन स्कूल समय से पहले धुंध में बच्चों को लेने के लिए पहुंची थी।
लालच के वशीभूत हैं स्कूल संचालक : पुरी
अशोक पुरी पब्लिक रोड सेफ्टी एसोसिएशन के महासचिव एचएस पुरी का कहना है कि लालच के वशीभूत हो कर स्कूल संचालक कम वेतन पर चालकों को रखते हैं। ऐसे वाहन चालकों के कारण ही हादसे होते हैं। वर्ष 2012 को शाहाबाद में हुए हादसे के बाद सुरक्षित स्कूल वाहन पालिसी बनी थी। इसके बाद स्कूलों ने उन्हीं चालकों को अपने यहां लगाया था, जिनके पास लाइसेंस हैं, मगर इन वाहन चालकों के पास लाइसेंस प्रदेश के बजाय अन्य प्रदेशों से बने हुए हैं। इन लाइसेंसों की जांच भी नहीं कराई जाती है। एचएस पुरी का कहना है कि अधिक से अधिक बच्चों को ढोने के लिए एक ही बस के कई-कई रूट निर्धारित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में साफ दिख जाता है कि स्कूल लगने से काफी समय पहले ही बसें पहुंच जाती हैं। उनका कहना है कि जिला प्रशासन के साथ स्कूल संचालकों का भी दायित्व है कि वे प्रशिक्षित चालकों को स्कूल बसों पर लगाएं। इसके लिए प्रशासन को भी समय-समय जांच करनी होगी, ताकि देश के भविष्य सड़कों हादसों के शिकार न हों।
समय-समय पर होती है कार्रवाई : बल¨जद्र
क्षेत्रीय परिवहन विभाग के सचिव बल¨जद्र ¨सह का कहना है कि जिले में अधिकतर स्कूल बसें नियमानुसार चल रही हैं। समय-समय पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है। वहीं प्रत्येक दो माह में सुरक्षित स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत जिला शिक्षा अधिकारी व स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक कर उन्हें निर्देश भी दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी कहीं लापरवाही की शिकायत आती है तो जांच कर ऐसे स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।